लेखक : अब्दुल रहमान
आपको उस धर्म से नफरत क्यों है?
- जो इंसान को उसके अपने पैदा करने वाले सच्चे पालनहार एक परमेश्वर की ओर बुलाता है और उसी की उपासना का आदेश देता है, क्या आपके हिसाब से ऐसा करना गलत है ?
- जो जातिवाद, रंगभेद, छुआछूत, ऊँचनीच के भेद-भाव को मिटाता है, क्या आपके हिसाब से यह गलत है?
- जो बुद्धि और विवेक से काम लेने पर बल देता है, आपके हिसाब से बुद्धि और विवेक से काम लेना गलत है?
- जो प्रकृति और मानव-स्वभाव के अनुकूल है।
- जो मानवता का रखवाला है, जो बिना भेद-भाव के सब धर्म की रक्षा करता है, जान की सुरक्षा करता है, बुद्धि की सुरक्षा करता है, इज़्ज़त की सुरक्षा करता है, माल की सुरक्षा करता है, क्या यह सब भी गलत है ?
- जो दुश्मन के साथ भी न्याय का आदेश देता है।
- जो सम्पूर्ण जीवन व्यवस्था देता है, आध्यात्मिक, नैतिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक प्रत्येक विभोगों में मार्गदर्शन करता है। क्या यह सब गलत है ?
- जो भ्रूण हत्या को जघन्य अपराध ठहराता है, बेटियों को प्रथमिकता देता है, उन्हें माता पिता की सम्पति में हिस्सा देता है, विधवा विवाह को प्रोत्साहन करता है, दहेज को लानत कहता है, क्या यह सब करना गलत है ?
- जो गरीब अनाथ बेसहारा की सहायता को अनिवार्य ठहराता है, पड़ौसी के आधिकार तय करता है और शिक्षा देता कि अगर आपका पड़ौसी भूखा है तो आपका भोजन हराम है, आपके हिसाब से क्या यह शिक्षा भी गलत है ?
- तलाक बोझ बन चुके रिश्तों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है, इस्लाम ऐसे रिश्तों में दम्पति को अलग होकर फिर नये तरीके से घर बसाकर एक खुशहाल दाम्पत्य जीवन जीने की शिक्षा देता है, जिसमें हसबैंड को तलाक का और वाइफ को खुला का हक देता है, जिससे लड़की-लड़के दोनों ही फिर से अपना जीवन शुरू करते है, जिसमें जलाकर मारने या आत्महत्या जैसे मामलों के बारें में सोचा भी नहीं जा सकता , आपके हिसाब से यह भी गलत है क्या ??
- जो बिल्कुल मॉडर्न और अप-टू-डेट है, हर युग और हर जगह के लिए अति उचित है, ग़रीबी मिटाने के लिए ज़कात का सिस्टम देता है, बलात्कार पर रोक लगाने के लिए पर्दा का आदेश देता है, सामाजिक शांति के लिए शराब, जुवा, ब्याज, दहेज और भ्रूण हत्या को अवैध ठहराता है। क्या आपके हिसाब से यह भी सब गलत है ?
इस्लाम की मानवता से ओतप्रोत ऐसी अनगिनत शिक्षाएं हैं, जो आपको सोचने के लिये मजबूर कर देगीं और अगर आप वाकई एक कोमल दिल और स्वच्छ दिमाग रखते हैं, तो बरबस कह उठेगें कि इस्लाम नाम ही इंसानियत का है।
अगर आपको ऊपर लिखी किसी भी बात की सही और विस्तार पूर्वक जानकारी चाहिये तो हमें मैसेज (अब्दुल रहमान-7982070114) कर सकते हैं, क्योंकि आपकी गलत फहमी को दूर करना मेरी जिम्मेदारी है ।
विशेष :
- इसको प्रकाशित करने का हमारा उद्देश्य “सर्वधर्म समभाव” को बढ़ावा देना है, ताकि समाज में रह रहे विभिन्न मतावलंबियों में आपसी प्रेम और भाईचारे में बढ़ोतरी हो। लेखक अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन ध्यान रखें कि किसी दूसरे धर्म के मानने वालों की आस्था पर चोट न पहुंचे।
- सभी लोगों को अपना धर्म अच्छा और सर्वश्रेष्ठ लगता है। इसलिए अपने धर्म की तारीफ करते समय दूसरे किसी भी धर्म को कमतर बताना उचित नहीं है।
- धार्मिक मामलों के विषय में लेखकों के अपने विचार हैं। इससे सम्पादक (वेबसाइट आनर) का सहमत होना अनिवार्य नहीं है।