चुनाव आयोग और सरकार कहती है कि EVM हेक नहीं हो सकती , मेन्यूपुलेट नहीं हो सकती , बदली नहीं जा सकती लेकिन क्या EVM में पड़ा वोट गोपनीय भी रहता है ??
यह सबसे बड़ा एतराज़ है जो राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग से करना चाहिए लेकिन नहीं किया गया । क्यों ?? हमारे यहाँ ख़ासतौर से उत्तर प्रदेश में जातियों और धर्मों के गाँव और मुहल्ले अलग अलग होते है । कितने गाँव ऐसे है जिनमे केवल यादव रहते हैं , जाट रहते हैं , दलित रहते हैं , ब्राह्मण रहते हैं , मुस्लिम रहते हैं या कोई और जाति या धर्म के लोग रहते हैं । पूरे गाँव का एक ही बूथ होता है । काउंटिंग के समय पता होता है कि यह EVM किस बूथ की है जिससे पता चल जाता है कि इस गाँव के लोगों ने किसको वोट दिया है । यह उनके वोट की गोपनीयता भंग होने का मामला है या नहीं ??
चुनाव में भाजपा के पास पैसे की कमी नहीं है । क्या आपको नहीं लगता कि भाजपा का प्रत्याशी वोट ख़रीदने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता और जो उससे पैसे पकड़ ले उसे वोट देने और दिलाने भी पड़ेंगे क्योंकि बूथ पर वोट की गिनती हो जाएगी ।
गोरखपुर में योगी जी की सीट पर कुछ मुस्लिम गाँव हैं , उन्होंने योगी जी को वोट दिया है । क्या आपको नहीं लगता कि उन्होंने योगी जी को इसलिए वोट दिया होगा क्योंकि बूथ पर अगर वोट नहीं निकले तो मुख्यमंत्री को नाराज़ करना उनके लिए ठीक नहीं है ।
ऐसे ही ना जाने कितने बड़े नेता ख़ासतौर से बाहुबलियों को इसलिए वोट मिलते होंगे क्यूँकि अगर गाँव से उनके वोट नहीं निकले तो गाँववालों पर मुसीबत आ जाएगी ।
EVM से पहले जब बैलेट पेपर से वोटिंग होती थी तो कई बूथ के बैलेट बॉक्स एक साथ टेबल पर मिलाए जाते थे जिससे यह ना पता चल सके कि किस बूथ पर किसको कितने वोट मिले हैं । क्या EVM में यह मुमकिन है ??
राजनीतिक पार्टियाँ अगर खुद सामने नहीं आना चाहती तो स्वयंसेवी संस्था को ही गोपनीयता के मुद्दे पर EVM के ख़िलाफ़ कोर्ट में भेज दे । यह तो मौलिक अधिकार का मामला है । इसको तो कोर्ट भी सुनेगा ।