भोपाल। श्योपुर और रायसेन की ताज़ा घटनाओ से साफ है कि पुलिस प्रशासन प्रदेश की भाजपा सरकार के संरक्षण में अपराध क़ो नियंत्रण करने की बजाय हर अपराध क़ो साम्प्रदायिक रंग देकर अल्पसंख्यक समुदाय क़ो निशाना बना कर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कर रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि कानून व्यस्था बनाने के लिए जरूरी है कि पुलिस अपराधी पर सख्त कार्यवाही करे, ताकि आम नागरिक का कानून व्यवस्था पर भरोसा क़ायम रहे। किन्तु ज़ब पुलिस साम्प्रदायिक तत्वों के दबाव में अल्पसंख्यक समुदाय क़ो निशाना बनता है तो इससे समाज में असुरक्षा और अलगाव का वातावरण बनता है।
माकपा नेता ने कहा है कि श्योपुर और रायसेन में दोनों ही जगह विवाद समाज के वंचित तबकों आदिवासियों और मुस्लिम समुदाय में हुआ। प्रशासन की कार्यवाही ऐसी होनी चाहिए थी कि दोनों समुदायों में अलगाव और असुरक्षा की भावना खत्म होती। मगर मनुवादी तत्वों के दबाव में प्रशासन ने दोनों ही जगह एक तरफा कार्यवाही की है। श्योपुर में तो अपराधियों के गिरफ्तार हो जाने के बाद भी बजरंग दल और आरएसएस के दबाव में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो के मकानों क़ो तोड़ दिया गया है, जबकि यह मकान अपराधियों के नहीं उनके पिता के हैं।
रायसेन में ज़ब आदिवासी समुदाय की भीड़ अल्पसंख्यक समुदाय के गांव पर हमला कर दुकानों क़ो जला देती है, तब अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सुरक्षा के बाहर आते हैं और इसलिए टकराव में दुर्भाग्य से एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और दोनों ही पक्षों के लोग घायल हो जाते हैं, तब भी मुख्यमंत्री सिर्फ एक समुदाय के लोगों से मिलते हैं और गिरफ्तारी भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की होती है तथा इसके बाद भी पुलिस तीन लोगो के घर तोड़ देती है।
माकपा नेता ने कहा है कि पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही भाजपा और संघ के साम्प्रदायिक एजेंडे क़ो तो आगे बढ़ा सकती है मगर प्रदेश में न तो कानून का राज स्थापित कर सकती है और न ही प्रदेश के साम्प्रदायिक सदभाव की रक्षा कर सकती है। माकपा ने कहा है कि पुलिस क़ो राजनीतिक दबाव मे काम करने की बजाय कानून के अनुसार काम करना चाहिए।
जसविंदर सिंह ने प्रदेश के सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों और व्यक्तियों से एकजुट होने की अपील की है ताकि संघ के नियंत्रण में प्रशासन की हरकतों पर रोक लगाई जा सके ।