- डीपीसीआई ऐक्ट की वर्तमान संरचना की वजह से दिल्ली के कई योग्य छात्र लाभ लेने से वंचित रह जाते है- विशेष रवि
- वर्तनाम में यह अधिनियम सिर्फ उन लोगों को दिल्ली से मान्यता देता है जो दिल्ली के मान्यता प्राप्त स्कूल व इंस्टीट्यूशन से पढ़े हैं- विशेष रवि
- मैंने अनुरोध किया है की वर्तमान अधिनियम में संशोशन करके, दिल्ली के निवासी छात्रों को भी इस अधिनियम के लाभ मिलें- विशेष रवि
नई दिल्ली, , 2022
आम आदमी पार्टी के करोल बाग विधायक विशेष रवि ने आज दिल्ली विधानसभा में दिल्ली प्रोफेशनल कॉलेजेज व इंस्टीट्यूट (डीपीसीआई) ऐक्ट 2007 में संशोधन करने की मांग उठायी।
विधायक विशेष रवि ने कहा कि मेरे सामने कई ऐसे उदाहरण आए जहां योग्य छात्र इस अधिनियम की वर्तमान संरचना के कारण दिल्ली से होने के बावजूद उनका लाभ नहीं उठा पाए हैं। यह देखकर मैं विचलित हुआ और इस मुद्दे को गम्भीरता से उठाने का निर्णय किया।
उन्होंने कहा कि इस अधिनियम की वर्तमान परिभाषा के मुताबिक़ जिस छात्र ने दिल्ली के स्कूल व कॉलेज से योग्यता परीक्षा पास की हो, केवल वो ही इस अधिनियम के दायरे में आते हैं। इस संदर्भ में मैंने यह सुझाव दिया है कि इस परिभाषा को बदलकर ऐसा किया जाए, जिससे दिल्ली के निवासी इसके दायरे में आ जाएं।
विधायक ने कहा कि
यह तभी संभव है जब दिल्ली सरकार इस अधिनियम के अनुभाग 2 (एफ) में “संस्थान व आवासीय” के तहत संशोधन करके दिल्ली के छात्रों को तोहफा दे।
विधायक विशेष रवि ने यह भी कहा कि “इस अधिनियम में संशोधन होने से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को भी भारी लाभ होगा। संविधान में दिए आरक्षण का भी बहतार लाभ उठा पाएंगे। वर्तमान अधिनियम के हिसाब से उन्हें दाख़िला लेने के लिए 15 फीसदी सीटों में से ही संघर्ष करना पड़ता है। जिसमें पहले ही पूरे भारत से छात्र आवेदन करते हैं। इस संशोधन में दिल्ली के मूल निवासी होने के प्रमाण का जिक्र किया जाए। दिल्ली सरकार व दिल्ली नगर निगम द्वारा दिया गया जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र , डोमेसाइल या दिल्ली का 5 साल का निवास प्रमाण पत्र देकर इसका लाभ उठाया जा सके।
सभापति राम निवास गोयल ने इस मामले को विधान सभा की शिक्षा समिति को भेज दिया है और इस पर विचार विमर्श करने के लिए कहा है।