आम आदमी पार्टी के सबसे बडे नेता , पार्टी के अध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल को समझना बुद्धि से परे है अन्ना का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन मुझे निहायत धूर्ततापूर्ण लगा था . मगर इस आन्दोलन से केजरीवाल नेता बना आम आदमी पार्टी बनाई चुनाव लडा कांग्रेस और भाजपा का सफाया करते हुये तीसरी बार दिल्ली का मुख्यमन्त्री बना . अन्ना को पार्टी से दरकिनार किया और बाद मे अपने सभी साथी जो आन्दोलन मे उसके साथ थे पार्टी बनाने मे जिनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी , सबको लात मारके पार्टी से बाहर कर दिया .
दिल्ली के बाद पंजाब में आम आदमी की प्रचण्ड जीत के साथ एक बार फिर यह दल चर्चा में है। सबसे अद्भुत बात यह है कि दिल्ली और पंजाब में अनुसूचित जाति तबक़ा बड़ी संख्या में इस दल से जुड़ा है। ढांचे के मुताबिक देखें तो यह अपर कॉस्ट दल है जिसमें अनुसूचित जाति नेतृत्व के स्तर पर हाशिये पर ही है। इसके बावजूद भी बड़े पैमाने पर ये लोग बसपा और कांग्रेस छोडकर इस दल की तरफ आकर्षित हो रहे हैं . दिल्ली मे 16% तक वोट लेने वाली बसपा आज एक % से भी कम (0.71%)वोट पर पाकर हासिये पर जा चुकी है . दिल्ली मे कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया ( प्राप्त वोट 4.26% ) और दिल्ली मे भाजपा का जीना मुहाल कर दिया .
जिस प्रदेश को चुनता है वहाँ दूसरी पार्टीयों का सूपड़ा साफ कर देता है . पंजाब मे ये ही हाल किया .
अब इसकी नजर हिमाचल पर है . भाजपा और कांग्रेस दोनो के लिये खतरे की घन्टी है .
अभी कश्मीर फाइल्स के बाद का केजरीवाल का भाषण चर्चा में है। आठ सालो के बाद भी भाजपा विकास की बजाय किसी फिल्म के कारण 2024 का चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है . यह कह कर भाजपा की बोलती बन्द कर दी ।
सम्पादक
सम्यक भारत पत्रिका
दिल्ली .