पहला सीन
लाइट…साउंड…रोल कैमरा…एक्शन।
कैमरा एक 14 साल के बच्चे को दिखा रहा है, रात का समय है, एक उजाड़ से कस्बे की मुख्य सड़क पर स्ट्रीट लाइट की मद्धम सी पीली रोशनी है लडका लस्तपस्त हालत में धीमे कदमों से लौट रहा है… सड़क से घर की तरफ बढ़ रहा है, दरवाजे के पास एक टूटी हुई आराम कुर्सी पर बैठे हुए दादा से उसकी नजरे मिलती है, अचानक से लड़के के दिमाग में शहर के एसपी ऑफिस से खुद को धकेले जाने का दृश्य कोंधता है, एसपी ऑफिस के बाहर लडके के पिता के हत्यारे ठहाका लगा कर हंसते है ……. दादा अपने पोते को कातर निगाहों से देखता है और गर्दन झुका लेता है, बैकग्राउंड में पिता के हत्यारो की हंसी का साउण्ड बढ़ता जाता है, लडका अचानक ठिठक जाता है, और शून्य में घूरने लगता है, फिर अचानक से चिहुंकता है , और घर के दरवाजे से ठीक उल्टी तरफ सामने के तिमंजिला मकान की ओर तेजी से भागता है, दादा आवाज देता है, रोहित सुन,…..रोहित सुन,….., आवाज सुनकर मां जबतक घर से बाहर निकलती हैं, तब तक 14 साल का रोहित सामने बने तीन मंजिला मकान की सीढ़ी चढ़कर छत पर पहुंच जाता है …..छत पर एक मिट्टी के तेल की केन भरी रखी होती है लड़का वह केन अपने ऊपर उंडेल लेता है और माचिस दिखा देता है,……. मां की चीखे निकल जाती है, रोहित तीसरी मंजिल से बाहर कूदता है , सड़क पर धप्प से गिरने की आवाज आती है अचानक वातावरण पुरी तरह से खामोश हो जाता है, कैमरा का फोकस अब रोहित की मां की आंखों की तरफ है,
( यह सत्य घटना दो दिन पहले 23 मार्च 2022 की है )
पहला सीन खत्म
अब दूसरा सीन शुरु………
लाइट…साउंड…रोल कैमरा…एक्शन।
यह सीन रोहित की मां की आंखों से ही शुरु होता हैं, कहानी फ्लैश बैक में चलती है, रोहित का जन्मदिन है मां रोहित के पिता विपिन अग्रवाल को आवाज देती है, रोहित के पिता टेबल पर झुके हुए कुछ कागज जमा रहे हैं, ……..रोहित की मां कहती है… सुनो जी, बाजार से आते वक्त बेकरी की दुकान से केक लेते हुए आना,
पिता कस्बे के मुख्य बाजार की तरफ जाता है, जाते वक्त बहुत से लोग उस झुक कर प्रणाम करते हैं उसके पास कागजों का एक पुलिंदा है वह एक फोटोकॉपी की दुकान में रूक कर उन कागजों की फ़ोटो कॉपी कराता है, और फिर पड़ोस की बेकरी की दुकान से केक खरीदता है, जैसे ही वह बाहर निकलता है, दुकान के बाहर एक मोटर साइकिल और जीप आकर रुकती है , मोटर साइकिल वाला आदमी विपिन अग्रवाल के सीने तीन गोलियां दाग देता है, जीप में सवार कुछ आदमी ठहाका लगा कर हंसते हैं यह वही ठहाका है जो पिछले सीन में सुनाई दिया था, विपिन अग्रवाल के हाथो से केक छूट जाता है, अचानक से उसकी आंखे पथरा सी जाती है कैमरे का फोकस उसकी आंखो पर धीरे धीरे केंद्रित हो जाता है……..
( यह सत्य घटना कुछ महीने पहले 24 सितंबर 2021 की है )
दूसरा सीन खत्म
अब तीसरा सीन शुरु………
लाइट…साउंड…रोल कैमरा…एक्शन।
कैमरा विपिन अग्रवाल की आंखो से धीरे धीरे हटता है विपिन अग्रवाल का कुछ साल पहले सम्मान हो रहा है मंच पर वह माला पहने हुऐ बैठे हैं, उनके हाथो में वही कागजों का पुलिंदा है, वह एक आरटीआई एक्टिविस्ट है मंच पर पर मौजूद वक्ता विपिन अग्रवाल की तारीफ करते हुए बताता है कि विपिन अग्रवाल जिले के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता है विपिन एक आरटीआई कार्यकर्ता के तौर पर नौ साल से काम कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने भारत गैस, सुगौली, एसबीआई, बीपीएल सूची सुधार, जन वितरण प्रणाली, ब्लॉक व अंचल कार्यालय व क्षेत्र में पसरी अन्य अनियमितताओं को दूर करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी हैं उन्होने इस वक्त हरसिद्धि ब्लॉक बाजार इलाके की कीमती 8 एकड़ सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रखा है इस मामले में RTI से जानकारी लेने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में कई केस किए। कोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमण कर बनाए गए कई मकानों, दुकानों और पेट्रोल पंप को ढहा दिया गया, और अब उस जमीन पर सरकारी स्कूल कॉलेज खोला जायेगा……..
एक बड़े नेता उसे भरी सभा में अवार्ड देते हैं, विपिन अग्रवाल खुश होते हुए अवार्ड लेता है नीचे बैठे हुए उसकी पत्नी मोनिका देवी अपने दो बच्चो के साथ बैठी हुई गड़गड़ाती हुई तालियां की आवाज़ सुनती हुई गर्वपूर्वक अपने पति को देखती है
अवार्ड देने वाला नेता अपने चमचे से पूछता हैं क्यो यही है न वो !…….चमचा जवाब देता है हां, कल इसका इंतजाम हो जाएगा
अगले दिन विपिन अग्रवाल घर के राशन लेने सरकारी राशन की दुकान पर जाते हैं और एक बोरी गेंहू मोटर साइकिल पर बांधकर घर ला रहे होते है तभी स्थानीय पुलिस उन्हे एक बोरा सरकारी खाद्यान्न की कालाबाजारी के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज देती हैं……….
चमचा नेता को खबर देता है कि काम हो गया……. नेता की आंखे चमक उठती है…….. हिरासत में विपिन अग्रवाल की पत्नी उससे मिलने आती है, उसकी आंखों में आसूं है…….
( यह सत्य घटना 2015 की है )
तीसरा सीन खत्म
अब चौथा सीन शुरु………
लाइट…साउंड…रोल कैमरा…एक्शन
विपिन अग्रवाल की हत्या को कई दिन गुजर चुके हैं हत्यारो के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती, मृतक की पत्नी और पिता थाने से बाहर आते हैं, नेपथ्य में वही ठहाका गूंजने लगता है, उसे ऐसे हाल में देख लोगो में गुस्सा भड़क जाता है मोतिहारी के हरसिद्धि प्रखंड क्षेत्र में विपिन अग्रवाल की पत्नी मोनिका देवी शनिवार को सड़क पर उतर जाती है पति की हत्या के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होने को लेकर वो गुस्से में हैं। अपने बच्चों, परिजनों सहित अन्य लोगों के साथ वह मुख्य मार्ग को जाम कर देती है सूचना पर पहुंची पुलिस मृतक के परिजनों को समझाने में जुट जाती हैं इसी बीच विपिन की पत्नी पुलिस के सामने ही आत्मदाह का प्रयास करती है और ब्लेड से अपने हाथ का नस काट लेती हैं, विपिन अग्रवाल का 14 साल का बेटा अपनी मां की ऐसी हालत को देखता है, अगले दिन से वह 14 साल का लड़का एक टूटे से पलंग पर एसपी ऑफिस के सामने अपने पिता के लिए इंसाफ की मांग करने की एक तख्ती लिए रोज बैठता है…… नेपथ्य मे फिर वहीं ठहाका गूंजने लगता है……….
( यह सत्य घटना कुछ महीने पहले 15 अक्टूबर 2021 की है )
आखिरी सीन शुरु………
लाइट…साउंड…रोल कैमरा…एक्शन
कैमरा फिर से पहले सीन पर लोटता है 14 साल का रोहित को एसपी मिलने तक का वक्त नही देता…….रोहित रात को उजाड़ से कस्बे की मुख्य सड़क पर स्ट्रीट लाइट की मद्धम सी पीली रोशनी में लस्तपस्त हालत में धीमे कदमों से लौटता है और फिर आग में जलता हुआ तीसरी मंजिल से कूद जाता है…….
फिल्म खत्म हो जाती है, फिल्म पुरी तरह से सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं जो बिहार के मोतिहारी जिले के हरसिद्धि ब्लॉक में घटित हुईं है……..
गिरीश मालवीय
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