एडोल्फ हिटलर के पगलाए राष्ट्रवाद में सारा जर्मनी कूद पड़ा था. जब जर्मन सैनिक एक एक करके मरने लगे और हिटलर का मायाजाल टूटने लगा तो जर्मन सेना ने छोटे-छोटे बच्चों के लिए भी भर्ती खोल दी. आखिरी सांस ले रही नाज़ी सरकार को शर्म नहीं आई और उसने राष्ट्र के नाम पर बच्चों तक को हथियार थमाकर युद्ध में भेज दिया.
ये तस्वीर सोलह साल के हैन्स जॉर्ज हेंक की है जिसे हथियार देकर लड़ने को कहा गया.
वो अपने देश के ही हेसन में जंग करता हुआ पकड़ लिया गया था. जब पकड़ा गया तो ज़ार ज़ार रोने लगा. बच्चा ही तो था, रोना बनता भी था, तभी ये तस्वीर ले ली गई.
बेचारे के पिता 1938 में मर गए थे. मां भी 1944 में चल बसी. गुज़ारे के लिए कुछ करना था तो उसने 15 साल की उम्र में जर्मनी की वायु सेना में एंटी एयर स्क्वैड ज्वाइन कर लिया.
साल भर लड़ा और फिर जर्मनी युद्ध हार गया. सोवियत सेना ने जर्मनी में घुसकर सबको घेर लिया था, वो उन्हीं में से एक था.
फोटो अमेरिकी फोटोग्राफर जॉन फ्लोरिया ने लिया था.
हैंस ने आगे चलकर कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन की और 1997 तक जिए.
ये तस्वीर कई भावनाएं उजागर करती है. सबसे बड़ी तो यही कि बच्चे को आप कितना भी राष्ट्रवाद सिखा दें,.लेकिन दिल से वो बच्चा ही होता है. पकड़े जाने पर वो बच्चे की ही तरह फूट पड़ा.
बच्चे को बच्चा ही रहने दें.
अपने पागलपन में उनको सनकी नहीं बनाना बनाए.
अपने बच्चों को भी बचाइए अगर आपको लग रहा हो कि वो बचपन में ही बड़ों जैसी बातें कर रहा है…। मरने-मारने, कटने-काटने की..
Prem Renzhai जी की wall से