विज्ञान की खोज के अनुसार अजोइक युग (मतलब जब कोई जीव नहीं था, लगभग 2.5 अरब वर्ष पूर्व) में जीवन के प्रारम्भिक कण कोवेसेट अस्तित्व में आया, जिससे DNA का निर्माण हुआ, जो एक अनुवांशिक इकाई है, इससे बैक्टीरिया बना और इसी से प्रोटोजोआ जैसे जीव बनें। फिर नान कार्डेटा जीव हुए, जिनमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती थी। फिर संक्रमण से नान कार्डेटा में बहुत से जीव संघ बने। कारडेन्टा जीव उद्विकास की प्रक्रिया से बनें। इन जीवों में टेट्रपोड जीव मतलब 4 उपांग (2 हाथ, 2 पैर या चार पैरों) वाले स्तनधारी विकसित हुए, जिसका सर्वोच्च विकास मनुष्य के रूप में हुआ। मानव का विकास आज से 20 लाख वर्ष पूर्व शुरू हुआ।
इसको बनने का क्रम निम्न प्रकार है।
होमो हिबिलस मानव 20 लाख साल पूर्व।
होमो इरेक्टस (जावा) मानव 16 लाख साल पूर्व।
पैकिंग मानव 8 लाख साल पूर्व।
नियेनडरथल मानव 1.5 लाख साल पूर्व।
होमो फेसिल्स मानव 20-50 हजार साल पूर्व।
होमो सेपियंस (आज का आधुनिक मानव मतलब हमलोग) 15-20 हजार साल पूर्व बने। अर्थात जुरासिक समय (डायनासोर जीवाश्म काल) में मानव अस्तित्व में नहीं था। बीस हजार साल पूर्व से दस हजार साल पूर्व तक आधुनिक मानव खानाबदोश था। न कोई भाषा, न कोई लिपि — धर्म और भगवान तो दूर की बात है। आठ हजार साल पूर्व मानव ने खेती और पशुपालन शुरू किया, यहीं से मानव सभ्यता की प्रारम्भिक शुरुआत हुई, जिसे विकसित होने में पांच हजार साल लगे। मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि इसकी मिसाल है। इसी विकास के साथ फर्जी भगवान पैदा किए गए। इसके पूर्व कोई भगवान नहीं सिर्फ प्रकृति की ही मान्यता थी।
अब सवाल यह उठता है कि, सनातनी धर्म ग्रंथों के अनुसार मानव एक अरब छानबे करोड़ वर्ष पहले से है, उसी काल के वेद भी है। दूसरी बात ब्रह्मा विष्णु महेश सहित हमारे तमाम देवता करोड़ों साल पहले सुन्दर आभूषण और कपड़े पहनते थे। क्या करोड़ों वर्ष पहले कपड़े का आविष्कार हुआ था? आखिर वह कौन सी टेक्स्टाइल फैक्टरी थी, जो देवताओं को रेशमी बस्त्र सप्लाई करती थी? करोड़ों वर्ष पहले देवी देवता और भगवान नुकीले और धारदार हथियार रखते थे, जब कि आदि मानव बीस हजार साल पहले कंकड़ पत्थर से ही काम चलाते थे। आखिर वह कौनसी फैक्टरी थी जो देवी देवताओं को हथियार सप्लाई करती थी? अगर हमारे देवी देवता करोड़ों वर्ष पूर्व इतने आधुनिक थे तो अपने खुद के चलने के लिए साइकिल या कार क्यों नहीं बनाईं। क्यों जानवरों की सवारी करते थे?
यह बात साफ है कि धरती पर पहले इन्सान आया फिर भगवान और भगवान ने इन्सान को नहीं, इन्सान ने देवी देवता और भगवान को पैदा किया। एक बात और स्पष्ट है कि धर्मों को खड़ा करने के लिए छूठ बोला गया कि यह धर्म करोड़ों वर्षों से है। एक सारे भगवान, देवी देवता दस हजार साल के बाद ही पैदा इन्सानों द्वारा पैदा किए गए हैं।
कुछ इन्हीं के धर्म ग्रंथों से प्रमाण
1)- आदि शंकराचार्य का जन्म 788 इस्वी में हुआ था। चारों धाम की स्थापना इन्होंने ही किया था। इसी चारों धाम की तीर्थयात्रा कराने श्रावण कुमार अपने माता पिता को लेकर जा रहा था। रास्ते में इसी निर्दोष बेचारे को राम के पिता दशरथ ने तीर से मारकर हत्या कर दी थी। श्रवण कुमार के माता पिता का श्राप भी दशरथ को लगा था। इससे सावित होता है कि राम की पैदाइश भी 800 इस्वी के बाद ही हुई है, जो काल्पनिक लगती है।
बौद्ध काल के पतन के बाद का प्रमाण
यथा हि चोर: स तथा हि बुद्धस्त
थागतं नास्तिकमत्त विद्धि
तस्माद्धि य: शक्यतम: प्रजानां से
नास्तिके नाभिमुखो बुद्ध: स्यात।
(अयोध्या काण्ड 109/34)
भावार्थ – जैसे चोर दंडनीय होता है, उसी प्रकार बुद्ध (बौद्ध मत वाले) भी दंडनीय है। तथागत नास्तिक चार्वाक को भी इसी कोटि में समझना चाहिए। इसलिए प्रजा पर अनुग्रह करने के लिए राजा द्वारा जिस नास्तिक को दंड दिलाया जा सके, उसे चोर के समान दंड दिलाया ही जाए, लेकिन जो बस के बाहर हो, उस नास्तिक के प्रति विद्वान ब्राह्मण कभी सामने न हो और उससे वार्तालाप तक न करें।
इससे सावित होता है कि रामायण आदि धार्मिक पुस्तकें बौद्ध काल के पतन के बाद ही लिखी गई है और यह भी साबित हो गया है कि अयोध्या का नाम पहले साकेत और श्रृलंका का नाम पहले सीलोन था। इसलिए यह कथा भी काल्पनिक है। फिर भी मानसिक गुलाम, पाखंडी, अंधविश्वासी हिंदू धर्म ग्रंथों को सही मानते हैं।
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