मैने संघ को क्यो छोड़ा?

दैनिक समाचार

देवरस जी का बनारस मे कार्यक्रम था करीब चालीस साल पहले.

मैने उनका बौद्धिक सुना और प्रभावित हुआ,

अपने धर्म के अंदर व्याप्त बुराई को खत्म करने के लिए समाज व देश की सेवा करनी चाहिए कुछ समय देना चाहिए..

ईसाई भी ऐसा करते है..मै संघ मे शामिल हुआ. शाखा मे जाने लगा.

जहाँ हमारी शाखा थी वह जिला मुख्यालय की सबसे अधिक पढे लिखे अधिकारियो का स्थान था.

कुछ दिनो बाद मै मुख्य शिक्षक बन कर संघ की ट्रेनिंग भी बाहर जाकर किया.

देवरस जी ने कहा था – भारत का रहने वाला हर निवासी हिन्दू है चाहे उसकी पूजा पद्धति अलग क्यो न हो!

यह बात मेरे दिल में बैठ गयी. मै मन लगा कर काम करने लगा. पढाई भी दिल से कर रहा था.

एक दिन की बात है, जिला संघ चालक हमारे शाखा मे आये. सबका परिचय हुआ.

एक लड़का था शहनवाज मियां,

जब परिचय दिया तो वे चौक गये!

हमसे पूछा- इसे कौन लाया ?

मै लाया हूं -मैने जबाब दिया-

क्यो लाये ?
मैने कहा- भारतीय है, हर भारतीय हिन्दू है, बस उसकी पूजा की विधि अलग है…

उन्होने कहा कि “आप लडके के घर जाकर बताइये कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा मे जाता है.

मै घर गया. लडके की माँ को बताया तो बोली बेटा कही ले जाओ,.बस अच्छी बात बताना, चोरी बदमाशी मत सिखाना.
ठीक है, मै बोला.

एक हफ्ते बाद संघ चालक फिर आये, लडके को फिर देखा,.सवाल किया कि घर बताये थे?
मैने कहा- हाँ, बताया. घर वाले राजी है.

वे चिन्ता मे पड गये, बोले-
उसके घर जाकर बताइये कि शाखा मे “भारत माता की जय” बोला जाता है, “बंदे मातरम” बोला जाता है, नदियो को “माँ” कहा जाता है.

मैने लडके के घर जाकर उसकी माँ से बात बताई. उसकी माँ सीधी-साधी अनपढ़ थी, बोली- “ठीक है बेटा, जो मन करे वो पढाओ, बस चोरी बदमाशी से दूर रखना.”

आखिर एक हफ्ते बाद फिर वही बात, संघ चालक बहुत परेशान! उन्होंने हमारे दो मुख्य शिक्षको को हमे समझाने भेजा, जिनमे आज एक ब्रिगेडियर है तथा दूसरा पुलिस अधीक्षक..कहने लगे- “देवरस जी की बात को आप गंभीरता से ना ले. चौकी की बात और, चौका की बात और….मुसलमानोँ ने देश के हमारे पूर्वजोँ पर बहुत अत्याचार किये है,.इनको दूर रखना है…”

मै बोला, अत्याचार किये है तो अब वही बुराई तो दूर करना है, उनको अच्छा नागरिक बनाना है!

बहुत बहस के बाद वे चले गये.

फिर संघ चालक कहने लगे, उस लडके का नाम बदल कर शंकराचार्य रखा जायेगा.

मै उनके घर जाकर बताया, वे कुछ नही बोले, पर लडके का शाखा मे आना बंद हो गया. पर हमे दुख बहुत हुआ.

फिर चुनाव आया. आदेश आया कि जनसंघ के लिए काम करना होगा. मैने कहा, “क्यो? यह तो सामाजिक सांस्कृतिक संगठन है ? हम तो वोट चौधरी चरण सिंह को देगे.”

फिर तो उनको करंट लग गया. बोले, चरण सिंह तीन पास अनपढ़ आदमी भैस चराता है, उसको वोट नही देना चाहिए.

और मै यही बात बहुत दिन तक जानता रहा. एक कालेज के सम्मेलन मे बोल दिया कि “चरण सिंह तीन पास नेता बन गये, तो ये हमारे विद्यार्थी क्या नही बन सकते!”

कालेज के प्रिन्सिपल ने हमे अलग बुलाकर कहा कि “आपको किसने कहा कि चरण सिंह तीन पास थे ?”

मैने कहा,संघ के लोग!
वे हँसने लगे–

“आप हाफ पैंट पहनने वाले उल्टी खोपड़ी वालो के साथ रहेगे तो यही जानेगे ना? चरण सिंह बीएससी एलएलबी है, और बहुत विद्वान है,” और उनकी दो लिखी किताबे हमे दिखाये जो कृषि नीति पर थी.

हमे बहुत शर्मिन्दगी महसूस हुआ..और हमने संघ छोड ही दिया!

मैने अच्छा काम किया ना ?

Dr. Uday Narayan

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