यूपी के जौनपुर में महिलाओं ने ख़ुद कपड़े हटाकर उस दर्द को बयां किया।
जिसे उस दर्द को पहुँचाने का आरोप यूपी की पुलिस पर लगा है इन महिलाओं के आरोप अगर सही हैं तो इनके जिस्म पर मौजूद ये ज़ख़्म यूपी पुलिस की ख़ाकी पर भद्दे दाग़ हैं।
पुलिस वालों ने नंगा करके पीटा जिससे इन महिलाओं का शरीर नीला पड़ गया है।
जौनपुर के बदलापुर में दलित महिलाओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उन्हें और उनके बच्चों को इतनी बुरी तरह पीटा कि उनकी चमड़ी नीली पड़ गई है। महिलाओं के पैर जाँघों और कूल्हों पर बर्बरता के निशान साफ-साफ देखे जा सकते हैं।
महिलाओं ने यूपी पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
पीड़ित महिलाओं के मुताबिक़ 20 मार्च को गाँव में ही कुछ लोगों के साथ उनका झगड़ा हो गया था दूसरे पक्ष ने पुलिस को बुला लिया लेकिन मौक़े पर पहुँची यूपी पुलिस की टीम ने दलित महिलाओं को बुरी तरह पीटा महिलाओं का आरोप है कि पुलिस ने उनके घर में घुसकर उन्हें और उनके बच्चों को नंगा करके लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा और जातिसूचक गालियाँ दी महिलाएँ के शरीर पर चोट के निशान उनके इन आरोपों की गवाही देते हैं।
जौनपुर पुलिस ने नकारे मारपीट के आरोप
लेकिन जौनपुर पुलिस ने महिलाओं के आरोपों को नकार दिया है जौनपुर पुलिस का कहना है कि विवाद होने पर पुलिस वहां गई थी जहां बीच-बचाव में एक कांस्टेबल को ही चोट आ गई पुलिस भले ही आरोपों को नकार रही है।
इन सवालों का जवाब कब देगी जौनपुर पुलिस—?
अगर पुलिस का दावा सच है तो सवाल उठता है कि फिर महिलाओं के साथ ये दरिंदगी किसने की ?
क्या दूसरे पक्ष ने महिलाओं को इतनी बेरहमी से पीटा ?
अगर हाँ तो फिर महिलाएँ दूसरे पक्ष पर आरोप लगाने की जगह पुलिस पर आरोप क्यों लगा रही हैं?
अगर दूसरे पक्ष ने महिलाओं और बच्चों को पीटा तो जौनपुर पुलिस ने उनपर क्या कार्रवाई की ?
ये वो सवाल हैं जिनका जवाब जौनपुर पुलिस को ज़रूर देना चाहिए यूपी की योगी सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपों की जाँच करानी चाहिए और अगर आरोप साबित होता है तो आरोपी पुलिस वालों पर एससी-एसटी एक्ट की धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज होना चाहिए क्योंकि दलितों की ज़िंदगी भी मायने रखती है।