सूरज निकला, कमल खिला, पर अंधेरा नही छटा ??

दैनिक समाचार

भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था . अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे. इसी दिन अटलजी ने महात्मा गांधी और जेपी के सपनों को पूरा करने का संकंल्प लिया था. जोड़तोड़ की राजनीति को खारिज करते हुए वाजपेयी जी ने कहा था कि भाजपा राजनीति में,राजनीतिक दलों में, राजनेताओं में, जनता के खोए हुए विश्वास को पुनः स्थापित करने के लिए राजनीति करेगी पर 42 वर्ष बीत जाने के बाद भी ऐसा हुआ क्या ??

मोदी अटलजी बड़ी बड़ी तारीफ करते है लेंकिन क्या वो अटल की राजनीति का 1 प्रतिशत भी फॉलो करते है अटल ने 6 सालो के कार्यकाल में एक भी नोटंकी भरे इवेंट नही किये क्योकि वो चीजो की सवेंदनशीलता को पहचानते थे अटल महामारी से लड़ने के लिए कोई कविता नही गाते अपितु कलाम जैसे वैज्ञानिकों और जार्ज फर्नांडिज जैसे समाजवादियों की एक टीम बना कर पूरे बीमारी को सामुहिक नेतृत्व से लड़ते.

अटल प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जनता के असली सवालो का जवाब देते और दो तरफा संवाद करते. अटल कोशिश करते कि कोई सांप्रदायिकता नही फैले दोनो तरफ के मूर्खो औऱ जाहिलो की हरकत पर उन्हें राजधर्म निभाने का कड़ा संदेश देते जैसे उन्होंने मोदी को 2002 के दंगों के दौरान दिया था लेकिन मोदी जी ने उसका कभी पालन नही किया.

मोदी बहुत सिलेक्टिव नेता है वो महापुरुषों से केवल अपने हिसाब से चीजो को लेते है वो दिनभर गाँधी का नाम जपते है लेकिन गोड़सेवादीयो को अपने बगल में रखते है वो अटल का दिया जलाने वाली कविता का उपयोग करते है लेकिन अटल के राजधर्म निभाने वाली सिख को भूल जाते है आप अपने नेताओ को कितना जानते है और उनक कितना सम्मान करते है वो केवल प्रतीकों से सिद्ध नही होता है.

अटलजी नेहरूजी को आदर्श स्टेटसमैन मानते थे वो अक्सर कहते थे नेहरू हमारे अद्भुत लोकतंत्र को एक नई ऊँचाई पर ले गए थे उनके जैसे स्टेट्समैन की भारत को हमेशा आवश्यकता रहेगी लेकिन नो ग्यारंटी, नो वारंटी के बाजार साहब जैसे अच्छे सेल्समैन तो मिल सकते है लेकिन स्टेट्समैन मिलना टेढ़ी खीर है मैं कम लिखा हूँ आप ज्यादा समझना.

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