रोज़ा मुत्तक़ी (संयमशील) बनाता है

दैनिक समाचार

अल्लाह तआला ने सूरह बक़र: की दूसरी आयत में क़ुरआन करीम के बारे में फ़रमाया है, ज़ा-लिकल किताबु ला रै-ब फ़ी-हि हुदल्-लिल्-मुत्तक़ीन (कुछ शक नहीं कि यह किताब मुत्तक़ी लोगों के लिये हिदायत है)।

इस आयत में बताया गया है कि इस किताब यानी क़ुरआन से सिर्फ़ उन्हीं लोगों को हिदायत मिल सकती है जो मुत्तक़ी (संयमशील) हों।

क़ुरआन करीम में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है, ऐ मोमिनों! तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किये गये हैं, जिस तरह तुम से पहले के लोगों पर फ़र्ज़ किये गये थे, ताकि तुम मुत्तक़ी बन जाओ। (अल बक़र: : 184)

इस आयत में साफ़ तौर पर बता दिया गया है कि रोज़ा रखने का असल मक़सद तक़वा (संयम) अपनाना है।

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने रोज़ेदारों को नसीहत करते हुए फ़रमाया, अगर तुम से कोई झगड़ा करे या गाली-गलौच करे तो तुम कह दो कि मैं रोज़े से हूँ।

इस हदीस का संदेश यही है कि रोज़ेदार मुसलमान को उस बदज़ुबान और बद्-तमीज़ इंसान की बराबरी नहीं करनी है।

लेकिन यह काम बड़ा मुश्किल है। हमारा मन हमें “क्रिया की प्रतिक्रिया” करने पर उकसाता है। कई बार यह देखा गया कि कोई विरोधी पहले से ही बड़े झगड़े की योजना बना लेता है लेकिन झगड़ा तभी हो सकता है जब दूसरा पक्ष भी जैसे को तैसा वाली शैली पर आ जाए।

पहला पक्ष यानी दंगाई तो यही चाहता है कि दूसरा पक्ष उसके जाल में फंस जाए। उसके बाद ही कोई झगड़ा आगे बढ़ता है। लेकिन अगर दूसरा पक्ष तक़वा (संयम) अपना ले तो पहले पक्ष की सारी साज़िशें नाकाम हो जाती हैं।

मुसलमानों को इस रमज़ान एक अहम व ज़रूरी बात सीखनी चाहिये वो यह कि विरोधी के पाले में जाकर कभी नहीं खेलना चाहिये, चाहे वो इसके लिये कितना ही उकसाए।

कुछ लोगों को यह बात कायरतापूर्ण लग सकती है लेकिन जोश में होश खोना सबसे बड़ी बेवकूफ़ी होती है।

अगर कोई मुसलमान, हिकमत (तत्वदर्शिता) से काम ले तो ऐसा रास्ता निकाला जा सकता है कि “साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे”।

सोशल मीडिया (यूट्यूब, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम वग़ैरह), बद्-तमीज़ी का सबसे बड़ा अड्डा है। कुछ लोगों का काम ही यही है कि वो लोगों के बीच नफ़रत की गंदगी फैलाएं। कई एंटीसोशल-वायरसों को इस काम के लिये पैसे भी दिये जाते हैं।

इस ब्लॉग के ज़रिए हम एक बार फिर यही अपील करते हैं कि रमज़ान के रोज़ों का असली मक़सद समझिये। अल्लाह तआला हम सबको हिदायत दे, आमीन।

सलीम ख़िलजी (एडिटर इन चीफ़ आदर्श मुस्लिम व आदर्श मीडिया नेटवर्क) मोबाइल : 9829346786

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