बड़े न्यूज़ चैनल्स तो पूंजीपति मित्रों ने खरीद लिए व सत्ता के चरणों मे नमन करने के लिए बिकाऊ पत्रकारों को नियुक्तियां दे दी!
सोशल मीडिया व यूट्यूब पर चैनल खोलकर जिंदा जमीर के लोग जनता की आवाज उठा रहे है उनको गुंडों की तरह उठाया जाने लगा है.
कल ही सरकार ने 18 भारतीय यूट्यूब चैनल को देश की सुरक्षा का हवाला देकर ब्लॉक कर दिया था जिस पर तकरीबन 200 करोड़ व्यूज थे.
सीधी (मध्यप्रदेश) की पुलिस ने एक बघेली भाषा के यूट्यूब चलाने वाले कनिष्क तिवारी व साथी पत्रकारों को हिरासत में लिया है।
असल बात यह है कि इन्होंने बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ खबर चलाई थी!
पुलिस कारण बता रही है फर्जी नाम से यूट्यूब चैनल चलाने का!
अरे भाई, असली-फर्जी के सबूत जब कोर्ट में पेश किए जाएंगे तो फैसला जज करेगा,इस तरह थाने में अर्धनग्न करने का अधिकार पुलिस को किसने दिया?
जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक बहुत सारे पत्रकार संगठन बने हुए है लेकिन क्या मजाल की इन छोटे पत्रकारों के लिए कोई मुखर होकर आवाज उठा लें!
I repeat it again “सबका नंबर आएगा!”
प्रेमसिंह सियाग