हिन्दू खतरे में या समाज खतरे में

दैनिक समाचार

ये कहां आ गये हम? देश कहां जा रहा है? ये विडियो छत्तीसगढ़ का बताया गया है जहां हिन्दू संगठनो के कार्यकर्ता रैली के दौरान मस्जिद में घुसे और जय श्री राम के नारे लगाये व उत्पात मचाया। इस तरह की हरकतों से सिर्फ सांप्रदायिक दंगे होते हैं और इन सांप्रदायिक दंगों में मेहनतकश जनता आपस में लड़-झगड़कर, आपस में कत्लेआम कर खुद का नुकसान करती है और इन दंगों से जंहा बहुसंख्यक जनता का नुकसान होता है, वंही शासक वर्ग का फायदा होता है क्योंकि बहुसंख्यक जनता अपनी असल समस्या महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसी मूल समस्या भूलकर शासक द्वारा दिये गये इस दंगे में उलझ जाती है और इनसे कोई इन असल मुद्दों पर कोई सवाल नहीं करती है।

जिनको ये भ्रम है कि ये फलां पार्टी हमारी अपनी पार्टी है, हमारे जाति की पार्टी है, हमारे धर्म के लोगों की पार्टी है, ये हमारे हितों के लिये काम करेगी तो निश्चित ही वो भ्रम में है क्योंकि शासक वर्ग के लिये सपा, बसपा, कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना, अपना दल, आप, राजद…… सारी पार्टियां एक जैसी हैं क्योंकि सभी पार्टियों में उनका हित समाहित है नहीं तो वो अपने हितों के अनुसार उस पार्टी को ढाल लेती है। कुछ मुस्लिम आवाम को लगता है कि सपा, कांग्रेस, ओवैसी वाली पार्टी मुसलमानों की पार्टी है तो वंही कुछ हिन्दू आवाम को लगता कि भाजपा हिंदुओ की पार्टी है इस गलतफहमी में मत रहिये कि भाजपा मेहनतकश हिन्दू जनता के हित की पार्टी है और कांग्रेस सहित सभी पार्टियां दुश्मन। दोनों ही वरन सभी संसदीय पार्टियों में कोई अंतर नहीं। सिक्के के दोनों पहलू हैं भाजपा और कांग्रेस एक हेड है तो एक टेल। दोनों ही नहीं संसदीय रास्ते की सारी पार्टियां ही बहुसंख्यक जनता की दुश्मन है। किसी भी पार्टी को बहुसंख्यक जनता के हितों से कोई लेना देना नहीं है। ये उनका भ्रम है कि भाजपा के साथ हिन्दू जनता का हित है और सपा कांग्रेस के साथ मुस्लिमों का हित।

क्या मंदिर या मस्जिद बन जाने से या मस्जिद या मंदिर को गिरा देने से या भगवा कपड़ा पहन हाथ में डंडे और तलवार लेकर जय श्रीराम बोल देने से या मस्जिद पर जाकर जयश्रीराम के नारे लगाकर सांप्रदायिक माहौल तैयार कर देने से या मुसलमान को लिंच करके मार देने से या मुसलामानों को लाल-लाल आंख कर नफरती निगाह से देख लेने से या मुसलमानों के प्रति दिलों में नफरत भर लेने से…. हिन्दू जनता को रोजगार मिल जाएगा या हिन्दू जनता को महंगाई से मुक्त मिल जायेगी या हिन्दू जनता को भ्रष्टाचार को से मुक्ति मिल जाएगी या हिन्दू किसानों को सस्ते खाद-बीज-कृषि उपकरण मिल जायेगा या हिन्दू किसानों के फसल की उचित कीमत मिल जायेगी…. या भगवाधारी हिन्दुवो को सस्ता पेट्रोल-डीजल मिल जायेगा या भगवाधारी हिन्दुवों को सस्ती और अच्छी व गुणवत्तापरक शिक्षा मिल जायेगी या या भगवाधारी हिन्दुओ को निःशुल्क या सस्ती चिकित्सा मिल जायेगी भगवाधारी हिन्दुवों को अलग से रहने के लिये आलीशान मकान या चलने के लिये आलीशान गाड़ी मिल जायेगी…. जितना मैं समझता हूँ मेरी समझ के अनुसार सिर्फ एक चीज मिलेगी और वो है सिर्फ नफरत और नफ़रती आदमी कभी तरक्की नहीं कर सकता और उस व्यक्ति का वही नफरत उसके आने वाली सन्तानो को उपहार स्वरूप मिल जायेगी।

महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, लूटखोर चिकित्सा व्यवस्था जैसी अनेकों समस्याओं का निदान मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा…. में नहीं और ना ही किसी धर्म विशेष के खिलाफ दिलों में नफरत भर लेने से…. समस्याओं का हल नहीं निकल सकता है। इसका हल सिर्फ सरकार की नीतियों से निकलेगा और आजादी से लेकर अब तक 75 सालों में कांग्रेस, भाजपा समेत कई पार्टियां आयीं पर किसी की नीतियां बहुसंख्यक जनता के हित में नहीं रहीं बल्कि सभी पार्टियों की नीतियां बहुसंख्यक जनता के विरुद्ध मुट्ठीभर पूंजीपतियों के हित में रहीं हैं। यदि इस व्यवस्था में बहुसंख्यक जनता का हित होता तो इन 75 सालों में हो गया होता।

अब यहां इस व्यवस्था के हितैषी लोग कहेंगे कि अभी तक जितने आये सब बेईमान थे किसी की नीयत ठीक नहीं थी तो जब अच्छी नीयत का हमारी जाति वाला या वो हमारे मजहब वाला या वो फलां आदमी या वो फलां पार्टी…. आयेगा तो सब ठीक कर देगा। तो साथियों वो अच्छी नियत वाला कल बिकेगा नहीं या कल उसकी नियत खराब नहीं होगी इस बात की क्या गारण्टी है? नियत नापने का कोई मशीन है उनके पास?

अजय असुर
राष्ट्रीय जनवादी मोर्चा

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