महामानव अंबेडकर की अंतिम इच्छा
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दैनिक समाचार
     ,,,,,, मुनेश त्यागी

महामानव अंबेडकर की अंतिम इच्छा थी कि एससी एसटी और मजदूर वर्ग के कल्याण के लिए मुझे कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो जाना चाहिए। हमारे अंबेडकर को मानने वाले भाई, इस तथ्य को हमसे छुपाते हैं, सारी दुनिया से छुपाते हैं, इस अहम तथ्य को दुनिया के सामने नहीं लाते और यही एक तथ्य है जो सही भी है और जिसके बल पर ही एससी एसटी, किसानों और मजदूरों का कल्याण किया जा सकता है, उन्हें रोजी-रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, मकान मुहैया कराए जा सकते हैं। यह हमारा कर्तव्य है और हमारी ड्यूटी है कि हम इस तथ्य को अपनी जनता के सामने लाएं और पूरे प्रयास के साथ जनता के सामने लाए, जनता को बताएं, तभी जनता अंबेडकर के विचारों की असली हकीकत को और उनके आखिरी सपने को जान सकेगी।
  अंबेडकर ने बहुत सारे जुल्म सहे, अत्याचार सहे, बहिष्कार सहे, और एससी एसटी के साथ हो रहे जुल्मों सितम को अपनी आंखों से देखा और सहा। लोगों ने उनके बाल नहीं काटे, नल से उनको पानी नहीं पीने दिया, कुवे से पानी नहीं पीने दिया, गाड़ी वालों ने गाड़ी पर नहीं बिठाया, स्कूल में मास्टर ने दुर्व्यवहार किया। इन सब बातों से और दुर्व्यवहार अंबेडकर हतोत्साहित नहीं हुए बल्कि समाज के लिए कुछ करने का हौसला बढता ही गया। 
 उन्होंने अपने पढ़ने का मिशन जारी रखा और बहुत ऊंची ऊंची डिग्रियां प्राप्त कीं। उनकी डिग्रियों को देखकर लगता है कि उस समय उनसे ज्यादा पढ़ा लिखा आदमी संविधान सभा में नहीं था। अंबेडकर भारत के संविधान की ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष थे। संविधान में उन्होंने फंडामेंटल राइट्स और नीति निर्देशक तत्व के अलग-अलग चैप्टर रखें। पता नहीं क्यों? उन्होंने नीति निर्देशक तत्वों को दूसरे स्थान पर रखा या उन्हें इन जरूरी नीति निर्देशक तत्वों को दूसरे स्थान पर रखने के लिए मजबूर किया गया।
 काश,  इन नीति निर्देशक तत्वों को फंडामेंटल राइट्स के साथ बुनियादी अधिकार बनाया जाता। आज हम देख रहे हैं कि भारत में अपराध बढ़ रहे हैं, अन्याय बढ़ रहा है, जुल्मों सितम बढ़ रहा है, दलितों की आवाज नहीं सुनी जा रही है, sc-st को उनके जंगलों से बेदखल किया जा रहा है, सरकार उनकी सुन नहीं रही है और इन खनिज संपदा से परिपूर्ण वनों और जंगलों को लुटेरे पूंजी पतियों को दिया जा रहा है ताकि इन लुटेरे पूंजी पतियों की लूट जारी है और यदि sc-st एकजुट होकर अपने वन अधिकारों की रक्षा करते हैं तो उन्हें माओवादी, नक्सलाइट और कम्युनिस्ट बताया जाता है और उनके साथ अपराध और हत्या की जाती हैं।
 हमारी सरकार को किसानों मजदूरों और sc-st के साथ हो रहे अन्याय, जुल्म ओ सितम, भेदभाव, शोषण बढ़ती गरीबी और भूखमरी व बेरोजगारी से कुछ लेना देना नहीं है, वह सिर्फ और सिर्फ पूंजी पतियों के लिए काम कर रही है, उनकी धनसंपदा बढ़ाने का काम कर रही है, उनके लिए सारे कानून बना रही है, उनके लिए किसानों को गुलाम बनाने जैसी स्थिति में ला दिया गया है। यही स्थिति इस देश के मजदूर वर्ग के सामने कर दी है क्योंकि सारे मजदूर श्रम अधिकारों को खत्म किया जा रहा है और उनके स्थान पर पूंजीपतियों के हितों की रक्षा करने के लिए और उनके मुनाफों में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि करने के लिए चार श्रम संहितायें मजदूर वर्ग पर जबरन थोपी जा रही हैं और सरकार उनके सारे हक और अधिकार छीन कर उन्हें आधुनिक गुलाम बनाने पर आमादा है।
 यहीं पर हमारा कर्तव्य है कि हम अंबेडकर के बताए रास्ते पर चलें और अंबेडकर का जो आखिरी सपना था कि "अब मैं कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो जाऊं", हमें इस सपने को पूर्ण करने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए और हमें यह जानना चाहिए कि आखिर वे कम्युनिस्ट क्यों बनना चाहते थे? आखिर वे कम्युनिस्ट पार्टी में क्योंं शामिल होना चाहते थे?
आखिर कम्युनिस्ट क्या चाहते हैं? यहां पर हम सबको बताना चाहते हैं कि कम्युनिस्ट इस देश के प्रत्येक आदमी को रोजी-रोटी चाहते हैं, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा चाहते हैं, रोजगार चाहते हैं, मुफ्त और अनिवार्य दवाई का इंतजाम करना चाहते हैं, उसकी बुढ़ापे की सुरक्षा यानी बुढ़ापे की पेंशन का इंतजाम करना चाहते हैं, उसके रोजगार को अनिवार्य बनाना चाहते हैं, उन्हें वैज्ञानिक, अनिवार्य और आधुनिकतम शिक्षा दिलाना चाहते हैं, उन्हें मुफ़्त और आधुनिकतम इलाज मुहैया कराना चाहते हैं, यहां पर सब नौजवानों को रोजगार मुहैया कराना चाहते हैं, यहां की असमानता को दूर करना चाहते हैं और इस  लगातार बढ़ती आर्थिक असमानता को कम करना चाहते हैं और देश के प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल पूरी जनता के विकास के लिए चाहते हैं, सिर्फ चंद पूंजीपतियों के विकास के लिए ही नहीं।
  संक्षेप में, कम्युनिस्ट यही चाहते हैं और यही कारण था की कम्युनिस्टों का जो प्रोग्राम है, वह सारी जनता के कल्याण का प्रोग्राम है, वह किसान को लाभकारी मूल्य देना चाहता था, खेतिहर मजदूरों को, भूमिहीन मजदूरों को जमीन बांटना चाहता था, वे जो जमीन सरकार के अधीन थी और जो सीलिंग के बाहर जमीन थी उसको भी बांटना चाहते थे, आज भी बांटना चाहते हैं। सारे मजदूर वर्ग को न्यूनतम देना चाहते हैं, स्थाई नौकरी देना चाहते थे और समान काम का समान वेतन देना चाहते थे।
 हमें इस सब को जानना चाहिए। यही सब कारण थे, नीतियां थीं, यही सब कम्युनिस्टों का प्रोग्राम था जिसकी वजह से महामानव अंबेडकर कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होना चाहते थे। हमारा यह शत-प्रतिशत मानना है कि जब तक हम कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यक्रम और लक्ष्यों को सारे sc-st, सारे मेहनतकाशों और जनता के बीच नहीं ले जाएंगे, उसके अनुसार समाज व्यवस्था कायम नहीं करेंगे, और जब तक इस भ्रष्ट और जनविरोधी पूंजीवादी व्यवस्था के स्थान पर क्रांति के द्वारा समाजवादी समाज की स्थापना नहीं करेंगे, तब तक इस देश के मेहनतकशों और एसी-एसटी का सम्पूर्ण विकास और कल्याण नहीं हो सकता, इस देश के गरीबों, किसानों, खेतिहर मजदूरों, ओबीसी, एससी एसटी का कल्याण नहीं हो सकता। 

आज हम सबको जो, अंबेडकर से मोहब्बत करते हैं, उनके विचारों को प्यार करते हैं, उनकी ड्यूटी है कि उन्हें कम्युनिज्म यानी इंकलाब और साम्यवादी सिद्धांतों और कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में जानना चाहिए और अंबेडकर के आखिरी सपने को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और जनता को उनके सपने और कम्युनिस्टों और कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों व विचारधारा से अवगत कराना चाहिए और ऐसा ही समाज स्थापित करने के अभियान में शामिल होना चाहिए। यही डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का आखरी सपना था यही उनकी आखिरी मुराद थी। यही अंबेडकर के प्रति सबसे सच्ची और अनुकूल श्रद्धांजलि होगी।

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