महिला प्रधान नाटक ‘गाथा बंदिनी’ का भव्य मंचन
रंगकर्मी स्व. राजेंद्र सिन्हा स्मृति नाट्य संध्या
विकल्प नाट्य संगठन की प्रस्तुति
💐💐💐💐💐💐💐💐💐

दैनिक समाचार

वरिष्ठ साहित्यकार और प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य महासचिव प्रेमचंद गांधी द्वारा लिखित और निर्देशित #
नाटक गाथा बंदिनी का सूपर हाउस फुल शो✌✌👌🤘
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

साथियों, विकल्प नाट्य संगठन पिछले 47 वर्षों से रंग मंच पर सक्रिय है और सामाजिक राजनैतिक सांस्कृतिक क्षेत्र समसामयिक विषयों पर अनेकों सांस्कृतिक प्रस्तुतियां समाज को देता आया है.

इसी क्रम में पिछले सन्न 2018 -2019 में एक महिला प्रधान नाटक का मंचन रवींद्र मंच, आकाशवाणी और दूरदर्शन पर अनेकों बार किया था – “गाथा बंदिनी”. जिसका पुनः सफल और भव्य मंचन दिनांक 7th अप्रैल’22 को रवींद्र मंच पर सांय 7 बजे किया गया।

नाटक गाथा बंदिनी कथासार-

इस नाटक में चार ऐसी महिलाओं की कहानियां है जिनको न्यायलय ने हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा दी हुई है ! ये चारों महिला कैदी , एक महिला जेल में बंद है ! वहां की जेलर भी एक महिला ही हैं जो की नई नई आयी हैं ! जब उसे लगता है की जेल के सभी कर्मचारी और अन्य कैदी इन चारों महिला कैदियों के साथ एक विशेष आदर का व्यवहार करते हैं तो वह जेलर इन चारो महिला कैदियों को बारी बारी से बुलाकर उनकी कहानियां सुनती है ! तब उसे ज्ञात होता है की उन चारो महिलाओं ने जो हत्याएं की है वो किसी आपराधिक प्रवृति की वजह से नहीं की है बल्कि समाज में खरगोश की खाल में छुपे वहशी दरिंदे और भेड़ियों के कुकृत्यों के करण की है ! उन दरिंदों ने इन महिलाओं के सामने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी की इनके सामने उन दरिंदों की हत्या करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नहीं बचा था !

जैसे जैसे नाटक आगे बढ़ता है, दर्शकों की सहानुभूति भी इन चारों महिला कैदियों के साथ हो जाती है !

नाटक के अंत में जेलर दर्शकों के मुखातिब होकर कहती हैं की मानवीय दृष्टि से देखा जाये तो इन चारों महिलाओं ने उन दरिंदों की हत्या करके कोई अपराध नहीं किया है, क्योंकि अगर वो चारों दरिंदे जिन्दा रहते तो समाज में और गंदगी फैलाते, किन्तु कानून किसी अन्य को सजा देने का अधिकार नहीं देता है, और जान से मारने का अधिकार तो बिलकुल भी नहीं! इसलिए इनको सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी ! लेकिन इनके आचरण और व्यवहार को देखते हुए सजा कम करने की अपील जरूर करेगा. इसी के साथ नाटक समाप्त होता है !

नाटक के लेखक और निर्देशक वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव प्रेमचंद गांधी थे।
इसमें सह निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी हरि नारायण शर्मा कर रहे थे।

नाटक में भूमिका निभाने वाले मुख्य कलाकार थे:–

डॉ. कविता माथुर, सरस्वती , नंदिनी पंजवानी, डॉक्टर भार्गवि, मीरा सक्सेना, सुनीता चौधरी, शिखा पारीक, नीना कपिल, मीनाक्षी शर्मा, बेबी आरोही मियां बजाज, एम एल गोयल जी, विजय स्वामी, संजीव माथुर, मनोज आडवाणी और ओ पी शर्मा ।
नाटक में प्रकाश व्यवस्था राजेन्द्र शर्मा ‘राजू’ की रही, जबकि संगीत दिया -अध्यात्म जगधारी ने और मंच सज्जा गोपाल शर्मा की रही ।

हाउस फुल शो में पधारे सभी सुधि दर्शकों का हार्दिक आभार 🙏💐🌹🌺🌻🙏

आपका साथी

विजय स्वामी
महासचिव
विकल्प नाट्य संगठन✊😃

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *