7 अप्रैल को मध्य प्रदेश पुलिस ने एक बीजेपी विधायक के खिलाफ खबर दिखाने वाले, लिखने वाले पत्रकारों को नंगा करके पहले पीटा फिर थाने में परेड कराया गया और लाकअप में बन्दकर दोनों जगह की अर्धनग्न फोटो खींचकर सोशल मीडिया के जरिये वायरल कराया गया ताकि कोई और पत्रकार या जिम्मेदार नागरिक शासन-प्रशासन के खिलाफ आवाज ना उठा सके। सभी के दिलो में ये फोटो देखकर खौफ कायम हो जाये। मैसेज एक दम साफ है।
गिरप्तार किये गये पत्रकारों को यह भी धमकी दी गई कि अगर विधायक या पुलिस के खिलाफ लिखने का काम करोगे तो पूरे शहर में इसी तरह से नंगा घुमा दिया जाएगा। ये सभी पत्रकार मध्य प्रदेश के सीधी जिले के हैं। इनमें अधिकांश यूट्यूब चैनल चलाते हैं। इनमें से एक पत्रकार कनिष्क तिवारी के बघेली यूट्यूब चैनल पर सवा लाख सब्सक्राइबर हैं। सीधी पुलिस ने कनिष्क और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस का कहना है कि ये लोग फर्जी आईडी से बीजेपी सरकार और विधायकों के खिलाफ लिखते और ख़बरें दिखाते हैं।
यदि पुलिस की भी बात मान लें कि ये सभी फर्जी पत्रकार हैं और इन्होंने बड़ा गुनाह किया है तो क्या भारतीय संविधान और भारतीय दण्ड विधान संहिता या किसी अन्य विधान में कही इस तरह के सजे और वो भी पुलिस को देने का प्रावधान लिखा है? पुलिस को ऐसा सजा देने का विधान तो कहीं नहीं है। सजा देने का काम न्यायालय का है। यदि न्यायालय पर भरोसा है तो न्यायालय को न्यालायाय का काम करने दें, न्यायालय का काम पुलिस को करने का हक किसने दिया? आये दिन कहीं पुलिस द्वारा जबरन बुलडोजर चलाकर किसी का मकान तो किसी की दुकान तोड़ दी जाती है तो कहीं हिरासत में गोली मारकर इनकाउंटर दिखा दिया जाता है वो भी खुलेआम। अभी हाल ही में बलिया में पत्रकारों द्वारा पेपर लीक की खबर चलाने के बाद उस पत्रकार को ही दोषी बताकर जेल में बंद कर दिया गया। इसी तरह दिल्ली में हुए हिन्दू महापंचायत में पत्रकारों को उनके धार्मिक पहचान और काम से रोकने के लिए हमला किया गया। ऐसे अनगिनत घटनाएं डेली घटती हैं। ये घटनाएं तो वे घटनायें हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी तो हमें पता चल पाया। ऐसे प्रतिदिन घटने वाली असंख्य घटनायें तो पता ही नहीं चल पाती। ये सारी घटनायें शोषक वर्ग और उनके दलालों के इशारे पर घटित होती हैं और इसलिये घटित होती हैं क्योंकि हम एकजुट ना होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं।
आज पुलिस फर्जी नाम से यूट्यूब चैनल चलाने का आरोप लगाकर इस छोटे से पत्रकारों को पीटी है और अर्धनग्न तस्वीर वायरल करा देश के इन नागरिकों के सम्मान का हनन किया है। इसी तरह कल शासन-प्रशासन और शोषक वर्ग के खिलाफ आपने कुछ बोल दिया तो आपको भी इसी तरह से पिटाई के साथ अपमानित होना पड़ेगा और बताया जायेगा कि ये फर्जी नागरिक हैं। इनका आधार कार्ड फर्जी है यदि एकजुट होकर आवाज नहीं उठाये तो।
अभी दो दिन पहले ही सरकार ने 18 भारतीय यूट्यूब चैनल को देश की सुरक्षा का हवाला देकर ब्लॉक कर दिया था। ऐसे ही देश की सुरक्षा के नाम पर आपको भी घरों में जेलों में कैद कर दिया जायेगा। आप सोच रहें होंगे ऐसे कैसे बन्द कर देंगे। देश में संविधान है! कोर्ट है! तो साथियों ऐसे अनगिनत घटनायें जब घटती हैं तब आपका संविधान और कोर्ट कहां चला जाता है? जब कोई अपने अधिकारों के लिये सड़क पर उतरकर आवाज उठता है, धरना देता है और शासक वर्ग के गुण्डे यानी पुलिस आकर लाठी चलाती है, गोली चलाती है, वाटर कैनेन चलाती है, आंसू गैस के गोले दागती है…. तो फिर कहां चला जाता है आपका संविधान और कोर्ट।
इसी तरह ज्यादा पुरानी बात नहीं हाल ही में बिहार में शासक वर्ग की पुलिस ने रोजगार की मांग कर रहे छात्रों पर लाठियां भांजी और गोलियां तक चलाई और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में छात्रों को हास्टल और लाज में घुसकर जबरन दरवाजा तोड़कर मां-बहन की गालियां देते हुए पीटा और गिरप्तार कर जेल भेज दिया गया। तब कहां रह गया था आपका संविधान और कोर्ट? इसी तरह दिल्ली में जेएनयू और जामिया-इस्लामिया यूनिवर्सिटी में जो हुआ और उत्तर प्रदेश के हाथरस में देश की बेटी के साथ जब अत्याचार हुआ तब ऐसे मौके पर कहा रह जाता है आपका संविधान और कोर्ट?
साथियों अभी वक्त है ऐसे बर्बर और तानाशाही रवैये के खिलाफ एकजुट होकर आवाज नहीं उठाये तो निश्चित ही अगली बारी आपकी होगी। I repeat it again चिन्ता मत करें सबका नंबर आएगा!
अजय असुर
राष्ट्रीय जनवादी मोर्चा
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