- सरकारी स्कूलों की ये बदहाली देखकर बहुत दुःख होता है, आजाद हुए 75 साल हो गए लेकिन अच्छी शिक्षा का इंतज़ाम नहीं कर पाए- अरविंद केजरीवाल
- मनीष सिसोदिया ने खोली गुजरात के तथाकथित शिक्षा व्यवस्था की पोल, भावनगर के सरकारी स्कूलों का किया दौरा, जर्जर दीवारों वाले क्लासरूम में बुनियादी सुविधाओं की कमी के साथ पढ़ने को मजबूर बच्चे
- जब गुजरात के सरकारी स्कूल सिस्टम को वर्ल्ड-क्लास बताने का दम भरने वाले गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू भाई बघानी के विधानसभा में ही सरकारी स्कूल बदहाल हैं तो बाकि गुजरात में सरकारी स्कूलों का और भी बुरा हाल होगा- मनीष सिसोदिया
- गांधी-पटेल की जन्मभूमि गुजरात में शिक्षा व्यवस्था का मजाक न बनाए भाजपा सरकार- मनीष सिसोदिया
- भाजपा अपनी गलतियों को समझे और गुजरात में शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने का काम करे, वरना आगामी चुनावों में गुजरात की जनता चुनेगी शिक्षा पर काम करने वाली सरकार- मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली/गुजरात, 11 अप्रैल, 2022
सत्ता के अहंकार में चूर गुजरात भाजपा के शिक्षा मॉडल का पर्दाफाश करने के लिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को गुजरात का दौरा किया। शिक्षामंत्री जीतू भाई बघानी के विधानसभा क्षेत्र भावनगर के 2 सरकारी स्कूलों का दौरा कर गुजरात की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोली। मनीष सिसोदिया ने कहा कि गुजरात में भाजपा के 27 साल के राज का शिक्षा मॉडल यह है कि शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के स्कूलों में शौचालय, फर्श और बेंच तक नहीं है। जब गुजरात के सरकारी स्कूल सिस्टम को वर्ल्ड-क्लास बताने का दम भरने वाले गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू भाई बघानी के विधानसभा में ही सरकारी स्कूल बदहाल हैं तो बाकि गुजरात में सरकारी स्कूलों का और भी बुरा हाल होगा। उन्होंने कहा कि गांधी-पटेल की जन्मभूमि गुजरात में भाजपा सरकार शिक्षा व्यवस्था का मजाक न बनाए। भाजपा अपनी गलतियों को समझे और गुजरात में शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने का काम करे। वरना आगामी चुनावों में गुजरात की जनता शिक्षा पर काम करने वाली सरकार चुनेगी। सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस संबंध में कहा कि सरकारी स्कूलों की ये बदहाली देखकर बहुत दुःख होता है। आजाद हुए 75 साल हो गए लेकिन अच्छी शिक्षा का इंतजाम नहीं कर पाए।
मनीष सिसोदिया ने अपने इस दौरे का एलान शुक्रवार को ही कर दिया था। इसके बाद से ही भावनगर के प्रशासन में अफरा-तफरी मची हुई थी। पिछले 2 दिनों से प्रशासन स्कूलों की सफाई करने में और दूसरी जगहों से शिक्षकों को भावनगर के सरकारी स्कूलों में लाने में लगी हुई थी, ताकि गुजरात के तथाकथित शिक्षा मॉडल की पोल न खुल जाए।
इस मौके पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि गुजरात के शिक्षा मंत्री जो ये दम भर रहे थे कि उनकी भाजपा की सरकार ने गुजरात के सरकारी स्कूलों को शानदार बना दिया। अहंकार में कह रहे थे कि जिसे गुजरात की शिक्षा व्यवस्था पसंद नहीं है वो दिल्ली चला जाए।| आज मैंने खुद उनके विधानसभा क्षेत्र में आकर यहां के सरकारी स्कूलों का दौरा किया। मुझे लगा था कि पिछले 27 सालों में भाजपा की सरकार ने गुजरात के सरकारी स्कूलों को शानदार बना दिया होगा, लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही है। स्कूल में बच्चे बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है।
सिसोदिया ने बताया कि जब गुजरात के शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के स्कूलों का हाल ही इतना बदहाल है तो गुजरात के बाकि क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों का क्या हाल होगा। यहां के स्कूलों में मकड़ी के जाले लगे हुए क्लासों में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। छत और दीवारें जर्जर हालत में हैं। भावनगर का पूरा प्रशासन पिछले 2 दिनों से स्कूल को साफ करने में लगा हुआ है लेकिन अब भी स्कूलों में गंदगी है। बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ने के लिए मजबूर हैं और डर इतना है कि मेरे दौरे से पहले स्कूल में 4 स्मार्ट बोर्ड टांग दिए।
सिसोदिया ने कहा कि भाजपा के लोग शिक्षा का मजाक न बनाएं। स्कूलों में मात्र चार स्मार्ट बोर्ड टांगने से शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं हो जाती है। उन्होंने कहा कि गुजरात गांधी व सरदार पटेल जैसे महान विभूतियों की धरती है। यहां 27 सालों से भाजपा के सत्ता में काबिज होने के बाद भी शिक्षा व्यवस्था का बदहाल होना शर्मनाक है। उन्होंने गुजरात के शिक्षामंत्री जीतू भाई बघानी व भाजपा को नसीहत देते हुए कहा कि अब भी समय है भाजपा अपनी गलतियों को समझे और शिक्षा के लिए काम करे, वरना आगामी चुनावों में गुजरात की जनता शिक्षा पर काम करने वाली सरकार को चुनेगी।
इस मौके पर आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि गुजरात के सरकारी स्कूलों की ये बदहाली देखकर बहुत दुःख होता है। देश को आज़ाद हुए 75 साल हो गए लेकिन फिर भी हम अच्छी शिक्षा का इंतज़ाम नहीं कर पाए, आखिर क्यों? हर बच्चे को बेहतरीन शिक्षा नहीं मिलेगी, तो भारत कैसे तरक्की करेगा? आइए, हम प्रण लें कि हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए हम सब मिलकर प्रयत्न करेंगे।