उत्तर प्रदेश का नया जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2021

विधेयक

द्वारा :  सात्यकी पॉल

हिन्दी अनुवादक : प्रतीक जे. चौरसिया

                11 जुलाई, 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021 नामक एक विधेयक का मसौदा जारी किया। यह मसौदा विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर यूपी-राज्य विधि आयोग में जारी किया गया था। यह (UPSLC) वेबसाइट और टू-चाइल्ड पॉलिसी शुरू करने की दिशा में कड़े कदम उठाता है।

इस मसौदा विधेयक के उद्देश्य हैं:

  1. वर्ष 2026 तक कुल प्रजनन दर (TFR) को 2.7% से घटाकर 2.1% एवं वर्ष 2030 तक 1.7% तक करना;
  2. समकालीन गर्भनिरोधक स्वीकृति दर को वर्ष 2026 तक 31.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत करना। इसके अलावा, वर्ष 2030 तक 52 प्रतिशत;
  3. वर्ष 2026 तक पुरुष गर्भनिरोधक स्वीकृति को 10.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 15.1 प्रतिशत करना। इसके अलावा, वर्ष 2030 तक 16.4 प्रतिशत;
  4. मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को 197 से घटाकर 150 से 98 और शिशु मृत्यु दर 43 से 32 एवं 22 तक,  5 वर्ष से कम आयु के शिशु मृत्यु दर को 47 से 35 एवं 25 तक कम करना।

बिल में उल्लिखित कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान:

  1. टू-चाइल्ड पॉलिसी अपनाने वाले लोक सेवकों को पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि मिलेगी, मातृत्व या जैसा भी मामला हो, 12 महीने का पितृत्व अवकाश, पूरे वेतन और भत्तों के साथ और नियोक्ता के योगदान में तीन प्रतिशत की वृद्धि राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत निधि;
  2. भविष्य के अधिनियम के कार्यान्वयन की सुविधा के लिए एक राज्य जनसंख्या कोष (एसपीएफ़) का गठन किया जाएगा;
  3. उत्तर प्रदेश सरकार सभी माध्यमिक विद्यालयों में जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित अनिवार्य विषय भी लागू करेगी; तथा
  4. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), एनजीओ, एसएचजी जैसे सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के कई हितधारक आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से परिवार नियोजन के बारे में गर्भनिरोधक और जागरूक व्यक्तियों को वितरित करने के लिए एक साथ आएंगे।

      मसौदा, विधेयक में जोर दिया गया है कि अधिक न्यायसंगत वितरण (अंततः गरीबी उन्मूलन में सहायता) के साथ सतत विकास (और एसडीजी) को बढ़ावा देने के लिए राज्य की जनसंख्या को नियंत्रित और स्थिर करना आवश्यक है। हालांकि, उत्तर प्रदेश राज्य में दो बच्चों की नीति का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्तिगत परिवार (चाहे वह लोक सेवक हो या स्व-नियोजित या व्यवसायी आदि) को स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और यूएलबी) में आवेदन करने से रोक दिया जाएगा या सरकारी नौकरियों में पदोन्नति प्राप्त करना, और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से रोक।

      राज्य के विपक्षी दलों ने ऐसे विधेयक को ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया है।

      वर्तमान संदर्भ में, यह मसौदा 19 जुलाई, 2021 तक सार्वजनिक जांच के लिए उपलब्ध कराया गया। मुझे विश्वास है कि जिम्मेदार नागरिक इस विधेयक की रचनात्मक रूप से आलोचना करेंगे और विधेयक में बेहतर संशोधन का प्रस्ताव करेंगे, ताकि विधेयक सर्वव्यापी और और भी अधिक पारदर्शी हो सके।

Note : लेखक पीएचडी के रूप में कार्यरत है। मानव विज्ञान विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर और एंथ्रोपोलॉजी फॉर ऑल (२०२१) पुस्तक के सह-लेखक है।

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