वोट मुसलमानों की मौत से नहीं मिलेंगे

दैनिक समाचार

भगवा नकाब लगाया बच्चा, पहली बार हथियार लहराते हुए, हब “जय श्रीराम” के नारे लगाता है, उस क्षण उसके भीतर,कुछ खत्म हो जाता है।

और कुछ पैदा हो जाता है।
~
खत्म होता है बचपन, सामाजिक लिहाज, मां बाप की सीख, इन्सानी तरबियत। पैदा होती है झुंड में एनोनिमस होने की ताकत……।

एक बड़े संगठन से जुड़ जाने का यूफोरिया, सत्ता का संरक्षण, कानून के प्रति हिकारत और जिंदगी में अपराजेयता का अहसास।
~~
ये सारे अहसास झूठे हैं, आभासी हैं। पर यह खुलासा तो अहसास उसे एकदम अंतिम क्षण में होगा।

उसके पहले वह दहाड़ेगा, नाचेगा, चुनौतियां देगा। ऐसे खतरे में खुद को डालेगा, जहाँ उसे नही होना चाहिए। एक बार, दो बार.. बार बार। तब तक, जब तक उसका रक्त, उसकी निर्जीव वापस आये।

कोठारी ब्रदर्स के रक्त के बगैर अयोध्या आंदोलन सिरे नही चढ़ सकता था और चन्दन के मरे बगैर कासगंज नहीं जल सकता था। क्रिया और प्रतिक्रिया के खेल में बहुसंख्यक को झोंकने के लिए हिन्दू का खून पहले चाहिए। हिंदुत्व में रवानी नहीं चढ़ेगी, अगर हिन्दू का खून नहीं बहेगा।
~
तो भगवा नकाब लगाया आपका बच्चा, अगर आज पहली बार हथियार लहराते हुए, जय श्रीराम के नारे लगाता हुआ आया है, उसे रोक लीजिए।

उसके राम, घर के पूजागृह में हैं, दिखाइए। मैं हाथ जोड़कर कहता हूँ। उससे पूछिये, की कल वो कहां था, क्या कर रहा था।

क्यों कर रहा था???
आगे क्या करेगा???

अगर उसके हाथों से हथियारों की गंध आये, और जेहन से नफरत की बू….. तो अभी, इसी वक्त रोकिए। थाम लीजिए।

सम्हाल लीजिए।
~~
बच्चा है वह, नहीं समझता। पर आप तो जानते हैं कि हथियार थमाने वालों को वोट, किसी मुसलमान की मौत से नहीं मिलेंगे।

एक हिन्दू बच्चे की लाश से भी मिल सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *