सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, भाजपा शासित एमसीडी सिर्फ 5 फीसदी टैक्स की वसूली कर पाती है, इसका बड़ा कारण भाजपा पार्षदों का भ्रष्टाचार है- दुर्गेश पाठक

दैनिक समाचार
  • 14 हजार संपत्तियों में से सिर्फ 2300 संपत्तियों से टैक्स वसूलती है बीजेपी, जिसके कारण एमसीडी 16 हज़ार करोड़ के नुकसान में चल रही है- दुर्गेश पाठक
  • साउथ एमसीडी में 8486 प्रॉपर्टीज हैं, जिसके लिए 1200 करोड़ की वसूली बनती है लेकिन एमसीडी सिर्फ 70 करोड़ रुपए इकट्ठा करती है- दुर्गेश पाठक
  • भाजपा शासित एमसीडी सिर्फ संपत्तिकर से लगभग 6 हजार करोड़ वसूल सकती है लेकिन सारा पैसा पार्षदों और नेताओं की जेब में जा रहा- दुर्गेश पाठक
  • दिल्ली में विभिन्न प्रकार के नियम उलंघन के लिए बीजेपी इतना पैसा इकट्ठा कर सकती थी जिससे तीनों निगम सुचारू रूप से चल सकते थे- दुर्गेश पाठक
  • भाजपा के 15 सालों के कुशासन को बेनकाब करती है सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी की रिपोर्ट- दुर्गेश पाठक
  • इस रिपोर्ट पर भाजपा जनता को जवाब दे कि उसने यह घपलेबाजी क्यों की- दुर्गेश पाठक
  • भाजपा ने चोर दरवाजे से एमसीडी को एक-दो साल और चलाने का तरीका ढूंढ़ा है, यह खत्म होना चाहिए- दुर्गेश पाठक

नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2022

‘आप’ एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग टीम की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि भाजपा शासित एमसीडी सिर्फ 5 फीसदी ही टैक्स की वसूली कर पाती है। इसका बड़ा कारण पार्षदों का भ्रष्टाचार है। यदि बीजेपी ईमानदारी से टैक्स वसूलती तो उसे पर्याप्त फंड नहीं होने का कभी रोना नहीं रोना पड़ता। इस रिपोर्ट ने भाजपा शासित एमसीडी का भंडाफोड़ दिया है। रिपोर्ट बताती है कि बीजेपी 14 हज़ार प्रॉपर्टीज में से सिर्फ 2300 संपत्तियों से टैक्स वसूलती है। जिसके कारण एमसीडी 16 हज़ार करोड़ के नुकसान में चल रही है। साउथ एमसीडी में 8486 प्रॉपर्टीज हैं। जिसके लिए 1200 करोड़ की वसूली बनती है लेकिन एमसीडी सिर्फ 70 करोड़ रुपए इकट्ठा करती है। बीजेपी सिर्फ संपत्तिकर से लगभग 6000 करोड़ वसूल सकती है लेकिन सारा पैसा पार्षदों और नेताओं की जेब में जा रहा। भाजपा इस रिपोर्ट पर जनता को जवाब दे कि उसने यह घपलेबाजी क्यों की है?

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। दुर्गेश पाठक ने कहा कि दिल्ली की जनता ने एमसीडी का नाम ‘मोस्ट करप्ट डिपार्टमेंट’ रखा है। मुझे लगता है कि इसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी ने कर दी है। उनकी रिपोर्ट में जो आंकड़े बताए गए हैं, वह काफी डराने वाले हैं। साथ ही यह आंकड़े भाजपा के 15 सालों के कुशासन का आईना दिखाते हैं। एमसीडी लगभग 16 हज़ार करोड़ के नुकसान में चल रही है। एमसीडी जो भी कर वसूलती है, चाहे हाउस टैक्स हो या ट्रेड टैक्स हो, यह रिपोर्ट उसमें किए गए भ्रष्टाचार पर है। सबसे पहली कमेटी 2006 में बनी थी, जिसमें 3 लोगों का चयन किया गया था। 2017 में इस कमेटी में बदलाव किए गए। 2017-2018 में ज़मीनी स्तर पर सभी आंकड़ों की पुष्टि की गई और उसके बाद ही इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर आंकड़े बताए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट

एमसीडी प्रभारी ने कहा कि रिपोर्ट के पैरा 16 में लिखा है कि दिल्ली में लगभग 14 हज़ार संपत्तियां हैं, जिनको टैक्स देना होता है। एमसीडी सिर्फ 2300 संपत्तियों से ही टैक्स वसूल पाती है। बाकी सारा पैसा डूब जाता है। इन आंकड़ों के अनुसार लगभग 730 करोड़ बनते है जिसकी एमसीडी को वसूली करनी होती है। मतलब लगभग 6 हजार करोड़ की वसूली एमसीडी सिर्फ यहां से कर सकती है। पैरा 23 कहता है कि यदि एमसीडी नियम उलंघन के लिए समय से कदम उठाती तो भारी मात्रा में वसूली की जा सकती थी। इससे एमसीडी खुद में पर्याप्त होती और किसी अन्य से फंड मांगने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। पैरा 25 में लिखा है कि प्रोपर्टी का दुरुपयोग और पर्यावरण से संबंधित नियम उलंघन के लिए भी भारी मात्रा में शुल्क लिया जा सकता था। इससे दिल्ली के पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ा है। पैरा 26 में सबसे महत्वपूर्ण बात कही गई है कि यदि एजेंसियां दिल्ली में ईमानदारी से शुल्क लेती तो एमसीडी को बार-बार पर्याप्त फंड नहीं होने का रोना नहीं रोना पड़ता। उनके पास इतना पैसा होता कि तीनों निगम सुचारू रूप से चल सकते थे।

यदि आप पूरी रिपोर्ट पढ़ते हैं तो उसमें एक बात को बार-बार महत्व दिया गया है। उसमें बताया गया है कि साउथ एमसीडी में 8486 प्रॉपर्टीज हैं, जिसके लिए 1200 करोड़ की वसूली बनती है लेकिन एमसीडी सिर्फ 70 करोड़ रुपए इकट्ठा करती है। इस प्रकार से तीनों एमसीडी लगभग 5 फीसदी ही कर वसूल पाते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि पार्षद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। हमने कई बार सबूतों के साथ बताया है कि कर वसूलने के बाद भाजपा के नेता और पार्षद मिलकर सारा पैसा खा जाता हैं। यह पैसा वास्तव में एमसीडी के अकाउंट में जाना चाहिए लेकिन वह सारा पैसा बीजेपी के पार्षदों और नेताओं के अकाउंट में जाता है।

दुर्गेश पाठक ने कहा कि मैं भाजपा के नेताओं से पूछना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई मॉनिटरिंग कमेटी की इस रिपोर्ट पर आप क्या जवाब देंगे? आप हर बार यह कहते हैं कि तीनों एमसीडी को एक कर दिया जाए तो समस्या खत्म हो जाएगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की यह रिपोर्ट कहती है एमसीडी का एकीकरण करो या न करो, उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। एमसीडी को जिस प्रकार से बीजेपी ने चलाया है, निगम होने के बावजूद यह सबसे भ्रष्ट विभाग बन चुका है। ऐसा आम आदमी पार्टी नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी कह रही है।

मुझे लगता है कि भाजपा ने चोर दरवाजे से एमसीडी को एक-दो साल और चलाने का जो तरीका ढूंढ़ा है, यह खत्म होना चाहिए। दिल्ली में तुरंत चुनाव होने चाहिए। दिल्ली के लोग बताएंगे कि चुनाव होना चाहिए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट ने साबित कर दिया है कि भाजपा का हक नहीं बनता है कि वह एमसीडी को और अधिक वक्त तक चलाए। भाजपा के नेता और पार्षदों ने मिलकर एमसीडी को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है।

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