भारत विकसित देश क्यों नहीं है, क्योंकि समस्या होने पर हम भगवान से मदद मांगते हैं जबकि इनका समाधान डॉक्टर या वकील के पास होता है.
प्रहलाद आग से, पानी से, हाथी के पैर के नीचे रखने तथा पहाड़ से खाई मे गिराने पर भी नही मरा था.
फिर मरा कैसे था? या अमर हो गया?
आप सब ने तो होलिका को जला दिया पर प्रहलाद कहाँ है, यह क्यों नहीं बता रहे है?
कोई भगवान नहीं होता, सारा डर का कारोबार है. जो जितना डरा हुआ है वो उतना आस्तिक है और जिसने डर को मार दिया वो नास्तिक हो गया!
चांद पर पहुंचते ही एड्विन एल्ड्रिन- “क्या हुआ?”
नील आर्मस्ट्रांग-“वो शेषनाग का फन नहीं दिख रहा जिस पर हमारी पृथ्वी टिकी है?”
बात जब वोट देने की हो, तब हम हिंदू हैं!
बात जब अधिकार सम्मान समानता की हो तब…तेली..धोबी…नाई..कुम्हार…गडरिया हैं! पाखंड से मुक्त हो देश!!
जब देवी-देवताओं के पास अपार शक्तियाँ थी तो हथियार क्या आलू छिलने के लिए रखे थे?
आजतक हमे हर धर्म का सम्मान सिखाया जाता रहा है लेकिन हर जाति का सम्मान करना कभी नही सिखाया! है न कितनी अजीब बात?
जब सरकार ही धार्मिक मुद्दों की आग को हवा देने वाली हो, तो देश की फिजा में लगी आग को तबाही मचाने से कोई नही रोक सकता!
हम उस धर्म को मानते हैं के जहाँ लोग बकरे को धर्म स्थलों में बलि चढ़ा सकते है, लेकिन खाकर धर्म स्थल नही जा सकते!
एक बात बताओ-
जब स्वर्ग और जन्नत मे सारी सुख सुविधाएं हैं तो स्वर्ग, जन्नत का लालच देने वाले वहीं क्यो नही निकल लेते?
अमेरिका में TV का प्रयोग जनता में वैज्ञानिक समझ बढ़ाने के लिये किया गया, जबकि भारत मे धार्मिक-मूर्ख बनानें के लिये!
सारे भगवान हिन्दी जानते थे लेकिन अंतरराष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी है.
धरती बनाने वाले ब्रह्मा को भारत के बाहर कोई जानता तक नहीं, लेकिन फेसबुक बनाने वाले मार्क जुकरबर्ग को पूरी धरती जानती है!
उधर सभी भगवानों की सवारी कोई ना कोई जानवर तक ही सीमित है, कार या बाईक किसी भगवान की सवारी नहीं है, क्योंकि जब इन बुद्धिमान लोगों ने ये मनगढ़ंत कहानियाँ बनाई थी. उस वक्त कार या बाईक का आविष्कार हुआ ही नहीं था!
ब्रह्मा ने सर से ब्राह्मण, भुजा से क्षत्रिय, पेट से वैश्य और पैर से शूद्र को पैदा किया. अब यहाँ सवाल ये है कि ब्रह्मा ने अंग्रेज, मुसलमान, चीनी, और हब्सी कहाँ से पैदा किये?
अच्छा कार्य केवल ईश्वर करता है और बुरा कार्य शैतान, आखिर ये शैतान रहता कहाँ है, क्योंकि कण-कण में तो भगवान रहता है.
जो मर गये वे बता नही सकते और जो जीवित हैं उन्होने देखा नही, फिर आखिर पता कैसे चला कि नर्क मे दण्ड मिलेगा और स्वर्ग मे अप्सरा?
यदि जोड़िया भगवान बनाता है तो नीचे लोग कुंडली क्यों मिलाते हैं, क्या इन्हें भगवान की बनाई जोड़ी पर भरोसा नही?
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
अगर ये ज्ञान के सागर होते तो संजीवनी ही लाते पूरी पहाड़ क्यों ले आये?
बत्ती जलाओ, जागते भी रहो जगाते भी रहो!
फुले, अम्बेडकर की विचारधारा को आगे बढाते भी रहो.
वर्ना समय हाथ से निकल जायेगा और फिर से वही समय वापस आ जायेगा जब शूद्रो के गले में हाँडी और कमर में झाडू बंधी रहती थी, क्योंकि देश में फिर से उन्हीं लोगों का राज है, जिन्होंने इस देश के निवासियों से उनकी जमीन धन और शिक्षा का अधिकार छीनकर सब खुद हडप लिया और शेष को शूद्र नीच और अछूत बना दिया!
*जब शूद्रों को पढना, जमीन खरीदना, धन इकट्ठा करना, और सामाजिक तरीके से जिंदगी जीना मना था, तब किसी भी अवतार देवी देवता, या भगवान ने जन्म न लिया, लेकिन जब जब ब्राह्मणराज खतरे में आया, तब तब कोई ना कोई अवतरित हो जाता था!