द्वारा : इं. एस. के. वर्मा
इसमें कोई भी संशय नहीं है कि आने वाला कल देश को सीरिया या अफगानिस्तान से भी बदतर स्थिति वाला बनने जा रहा है।
क्योंकि जिन बेगुनाह मुस्लिमों या दलितों अथवा पिछड़ों को मारा जा रहा है, उन्होंने ने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं।
हमें याद आता है मुजफ्फरनगर जिले का वह मंजर जब हिन्दू और मुसलमान दोनों एक दूसरे की जान के कट्टर दुश्मन बन बैठे थे।
हालांकि किसी की किसी से भी कोई निजी दुश्मनी नहीं थी, दुश्मनी तो छोड़िए जान पहचान तक भी नहीं थी। लेकिन आक्रोश और मजहबी जुनून के चलते लोगों की चैन खुलवाकर पुष्टि की जाती थी कि हिन्दू या मुसलमान।
हिन्दू मिला तो मुस्लिमों ने मारा और मुस्लिम मिला तो हिन्दूओं ने मार डाला!
कोई पूछे इन धर्म के ठेकेदारों से, कि क्या धर्म यही सब सिखाता है? और यदि वास्तव में ही धर्म इतनी हिंसा, क्रूरता और निर्दयता सिखाता है तो लात मारिए ऐसे धर्मों को!
क्योंकि धर्म इंसान का बनाया हुआ है, लेकिन कोई धर्म इंसान को नहीं बना सकता है।
जो धर्म मानवता रहित हो, दया और करुणा तथा सहिष्णुता का अनुपालन करने की सीख न देकर मानवता विरोधी हो वह धर्म कैसे हो सकता है?
धर्म के नाम पर धंधा ही कहा जा सकता है, जो मानवता का दुश्मन और मानवता का विरोधी हो!
धर्म जबरदस्ती धारण करने की वस्तु नहीं, बल्कि स्वेच्छा से ग्रहण करने की अनुभूति होती है।
यदि किसी धर्म के अनुयायियों की संख्या बढाने की चाहत है तो अपने धर्म को बुराईयों से मुक्त करके इतना अच्छा बनाने की जरूरत है कि लोग स्वेच्छा से ग्रहण करने को आतुर रहें!
चाकू और तलवार की नोंक पर किसी व्यक्ति को अपने धर्म का अनुयाई या धार्मिक बनाना कैसे संभव हो सकता है? क्योंकि व्यक्ति को धार्मिक बनाने के उसकी भावनाओं का धर्म के प्रति समर्पित होना चाहिए!
जबरन जय श्रीराम बुलवाना या अल्लाह हो अकबर बुलवाना मूर्खता का परिचायक ही कहा जाएगा। क्योंकि यह ऐसी परंपरा को जन्म दे रहा है कि जब भी कोई किसी को अकेले पाएगा, उसका रामनाम सत्य करने में जरा भी वक्त नहीं गंवाएगा!
देश के युवाओं और नागरिकों को चिंतन करना होगा कि उनको ऐसे भयभीत वातावरण में रहने वाले नागरिकों का देश चाहिए?
आज जबरदस्ती मस्जिदों की मीनारों पर भगवा झंडे लगाकर खुद को महान समझने वाले युवा भूल जाते हैं कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है।
यह समय बदलेगा भी जरूर, उस दिन क्या हालात होंगे, उसकी नींव आप खुद रख रहे हैं।
क्योंकि नेताओं का मुस्लिम प्रेम किसी से भी नहीं छिपा है, बिना प्रोटोकॉल के ही हिन्दुत्व शेर मोदी जी प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए भी पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के पर्याय देश में शादी की बधाई देने और बिरयानी खाने चले जाते हैं।
मान लीजिए उनके साथ कोई अप्रिय घटना घट जाती तो बेवजह ही देश को युद्ध में धकेलने की कोशिश होती, जिसका खामियाजा बेगुनाह सैनिकों को शहीद होकर और नागरिकों को भी भुगतना पड़ता!
भगवा झंडे लहराने और जय श्रीराम के नारे लगाने मात्र से ही यदि देश का विकास संभव हो सकता है तो बंद करिए सारे उद्योग धंधे और कारखाने, सबके हाथों में भगवा झंडे पकड़ाकर जय श्रीराम का उद्घोष लगवाना शुरू करिए।
बोफोर्स और राफेल तथा बाईक और कार तथा मोबाइल व चश्मों के लैंस बनाने तक की मशीनों और टेक्नोलॉजी के लिए विदेशों पर निर्भर रहिए, क्योंकि शर्म है जो कि आती ही नहीं है!
अनपढ़ और गंवार यह कार्य करें तो भी गनीमत कहा जा सकता है, परन्तु जब पढ़े-लिखे युवाओं के झुंड ऐसी बेहूदगी करते दिखाई दें तो समझ लीजिए पढ़े-लिखे महामूर्ख की भीड़ है, जिनमें ज्ञान और चिंतन करने की क्षमता का लोप भी है।