पानी से मेहनतें वो लिबास बदलते हैं,
जो पसीने से नहाते हैं, ओ इतिहास बदलते हैं।
जीवन भर जाति के नाम पर सहा अपमान,
फिर भी रच डाला देश का संविधान।
पूरी दुनिया के लिए पथ प्रदर्शक बाबा साहब को कोटि-कोटि प्रणाम।
14 अप्रैल का यह पावन दिवस आज विश्व भर में मनाया जा रहा है, क्योंकि बाबा साहेब की महान सोच केवल भारत के लिए ही नहीं विश्व भर के लिए एक दिशा बोधक है। विश्व के अनेक विकसित अमीर देशों में भी महिलाओं को राजनीतिक अधिकार के लिए वर्षों संघर्ष करना पड़ा। वहीं भारतीय संविधान के लागू होते ही पहले ही दिन से भारतीय महिलाओं को वोट का अधिकार मिला। यह बाबा साहेब की देन है, जिसे विश्व मंच पर सम्मान मिला।
बाबा साहब के सम्मान देने से पूर्व हम उनकी जीवन के संघर्षों के बारे में जरूर जानें। कोई भी हारा हुआ मनुष्य यदि बाबासाहेब के संघर्षशील उन्नत जीवन के कुछ पहलुओं पर ही विचार कर ले तो मन में एक प्रेरणा जाग जाती है। आज हम एक प्रेरणा लेकर उठे और बाबा साहब के जीवन मूल्यों से सीख कर कोई सृजन करने का संकल्प लें। एक बात यह भी जानना आवश्यक है कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को केवल दलितों पिछड़ों का मसीहा कह कर उन्हें छोटे दायरे में न समेटें। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर वह युगपुरुष थे, जिनके कर्म, जिनकी सोच पूरी मानव जाति के लिए थी। पूरे विश्व के दलितों पिछड़ों के लिए प्रेरणा और उम्मीद थी। हिंदू राष्ट्र में जन्मे एक ऐसे परिवर्तनशील क्रांतिकारी, जिन्होंने जातिभेद की वजह से हिंदू धर्म को त्याग दिया। कर्मों से बनता है वजूद आदमी का जाति तो नकली पहचान है। अगर ऊंची जाति से ही होती तो बताइए बाबा साहब आज क्यों महान हैं। धार्मिक ग्रंथ मनुस्मृति की प्रतियां जलाकर विरोध किया। ऐसा कोई युग बदलने वाला ही कर सकता है।
लब्ज़ आजाद सोनू कुमार गुप्ता