द्वारा : अकरम आजाद
मानव को मानव ने अपने स्वार्थहित में शारीरिक वह मानसिक रूप से इतना गुलाम बना दिया कि मानव ने इन गुलाम गुलाम कि जंजीरों से निकलने के बारे में सोचना तक बंद कर दिया।
करुणा के सागर बाबा साहब ने आज शोषित का मुख्य द्वार खोल कर इन्हें खुले आसमान के नीचे अपने सपने साकार करने का मौका दिया, जो कभी देवी देवता या अवतारों ने नहीं दिया था।
मित्रों, जो आज हम आजाद होकर जी रहे हैं, यह सब बाबा साहब की कुर्बानियों देन हैं।
बाबा साहब के सामने बहुत मुसीबतें आईं, लेकिन फिर भी वे घबराए नहीं, वह हमारे लिए लड़ते रहे। उन्होंने हमारे लिए अपने परिवार तक बलिदान दे दिया।
आज हम लोग क्या कर रहे हैं? बाबा साहब के जन्म दिवस पर उनके चित्र पर माल्यार्पण करके? एक साल के लिए सो जाएंगे। केवल एक दिन उनको याद करने से हमारा कुछ नहीं होगा, हमें हर रोज उनके द्वारा बताए हुए रास्ते पर चलना है, तभी हमारा कुछ भला हो सकता है।
आप सभी साथियों को मेरी तरफ से 14 अप्रैल की हार्दिक शुभकामनाएं ???