सहारनपुर शहर का सबसे बड़ा प्राचीन जैन मंदिर जैन बाग में है जो शहर के अंतिम छोर पर है। जैन बाग के चारों तरफ़ मुस्लिम आबादी बहुतायत में रहती हैं ।
सभी जानते है कि जैन मुनि दिगंबर अवस्था में रहते है । जैन बाग के इस मंदिर जी में लगभग हर साल जैन मुनियो का वर्षा क़ालीन चातुर्मास होता है । जैन मुनि जब भी आते है तो वे घनी मुस्लिम आबादी के बीच से आते हैं और अन्य मंदिरों में भी जब कभी जाते हैं तो मुस्लिम मोहल्ले से ही गुजरते है। सहारनपुर शहर में आज तक जैन मुनियो के आवागमन को लेकर किसी भी मुस्लिम समाज ने कोई आपत्ति या विरोध कभी नहीं किया बल्कि उनका स्वागत ही किया है ।
सहारनपुर शहर में हर साल जैन समाज भव्य व बड़ी रथ यात्रा का भी आयोजन करता है जो पूरे शहर में जाती हैं । मुस्लिम समुदायों के मोहल्ले से जब भी रथयात्रा गुजरती हैं तो मुस्लिम समाज रथयात्रा का जगह जगह भरपूर स्वागत करता आया है । कभी कोई तनाव नहीं हुआ तथा न ही कोई बखेड़ा । जैन मुनियो का जब भी प्रवचन होता है तो बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग भी सुनने आते रहे है ।
यद्यपि सहारनपुर शहर में भी कई बार साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएँ हुई है पर धार्मिक आयोजनों को लेकर तनाव कभी नहीं हुआ ।
मुझे अपने शहर सहारनपुर की इस संस्कृति व भाई चारे पर हमेशा से गर्व रहा है । आज अन्य कुछ शहरों की घटनाओं को देखकर मुझे काफ़ी हैरत भी होती हैं और दुख भी । हम तो हर धर्म के त्योहारों को, धार्मिक आयोजनों को मिल जुल कर व हँसी ख़ुशी से मनाते आये हैं जो इन त्योहारों व आयोजनों का मक़सद भी है तो ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले कौन लोग है? कोई अपने समाज व शहर में अशांति व तनाव कैसे चाह सकता है? मैं समझता हूँ कि ऐसे लोग किसी न किसी मानसिक विकृति के शिकार होते है जो सुख शांति से रहना नहीं जानते और चाहते हैं कि दूसरा भी कोई सुख शांति से न रहे । जिस समाज या देश के नागरिकों में आपसी प्रेम व भाईचारा नहीं है या जातीय, नस्लीय व धर्म को लेकर भेदभाव है तो वह समाज तथा देश बर्बाद होने के लिए अभिशप्त हैं ।
अब समय आ गया है कि हम तय करे कि हम क्या चाहते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ीयो को विरासत में कैसा समाज व देश देना चाहते हैं ।