दुनिया में बड़े-बड़े ज़ालिम बादशाह गुज़रे है। किसी को अपनी ताक़त तो , किसी को अपने इल्म पर गुरुर था तो किसी को अपनी हुकूमत और तख्तों-ताज पर नाज़ । क़ारून उन ज़ालिम लोगों में शुमार था । जिसे अपनी दौलत पर बहुत ज्यादा घमंड था।
5000 साल पहले की बात है।
मिश्र में फ़िरऔन (रेमेसिस) की हुकूमत थी।
क़ारून फ़िरऔन का एजेंट था।
वैसे तो क़ारून रिश्ते में हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का चचेरा भाई था। लेकिन उसे हजरत मूसा की नबूवत से जलन थी। मारे हसद के क़ारून ने मुनाफ़क़त अख़्तियार कर ली। मतलब वो दिखावे का ईमान वाला था।
वैसे तो क़ारून बहुत खूबसूरत था, इसलिए लोग उसे मुनव्वर भी कहते। वो तौरेत का जानकार था। उसने तौरेत का इल्म अपने भाई हजरत मूसा से सीखा । कई मौकों पर मूसा उसी से तौरेत की तिलावत करवाते। वो कीमियागिरी भी जानता था जिससे वो कलई को चांदी और तांबे को सोना बना देता। इसी वजह से क़ारून अपने दौर का बहुत मालदार इंसान बन गया।
क़ारून का खजाना मशहूर था।
दस आदमी भी उसकी दौलत को उठा नहीं सकते थे ।उसे इतने ख़ज़ाने नसीब थे कि उनकी चाबियां एक ताकतवर जमात लेकर चलती थी।
क़ुरआन शरीफ़ पारह 20 सूरतुल क़सस की आयत 76 में इरशादे बारी तआला है ?
“और हमने उस को इतने खज़ाने दिये जिन की कुंजियां एक ज़ोर आवर जमाअत पर भारी थी।”
जब वो ज़रक-बर्क लिबास पहनकर शानदार सवारी पर सवार होकर शाही अंदाज से बाज़ार में निकलता तो दुनियादार लोगों का दिल ललचाता। लोगों में हसरत पैदा होती कि काश हमें भी क़ारून जैसी दौलत मयस्सर होती।
क़ारून की दौलत मिश्र के बादशाह से टक्कर लेती थी।
फ़िरऔन के खात्मे के बाद !!!
एक मर्तबा उनके भाई और वक्ते नबी हज़रत मूसा ने क़ारून से कहा- ‘मुझे अल्लाह ने हुक्म दिया है की मैं तुम्हारे माल से जकात वसूल करूँ।’
इतना सुनना था कि क़ारून आपे से बाहर हो गया।
वैसे भी वो दिखावटी मुसलमान यानि मुनाफिक था।
फौरन भीड़ इकट्ठा करके मिश्र के ईमानवालों को भड़काने लगा कि – ‘ मूसा ने हमें नमाज़ का बोला हमने पढ़ी। उन्होंने तौरेत के कई एहकाम हमें मानने के लिए कहा हमने कुबूल किए। अब तो हद हो गई वो हमारा माल भी हमसे छीनना चाहते है ये क़ाबिले बर्दाश्त है।’
लोगों ने कहा -ठीक है आगे क्या करना है वो राय दो।
मुनाफ़िक़ क़ारून ने कहा कि अपन एक बदचलन औरत से बोलकर मूसा पर बलात्कार का इल्जाम लगवा कर उन्हें बदनाम कर देते है । इससे इनके पैरोकार भी दूर हो जायेगे।
क़ारून ने एक फ़ायशा औरत को एक हज़ार दीनार देने का लालच देकर मूसा पर तोहमत लगाने के लिए तैयार किया।
मूसा एक मर्तबा खुत्बा दे रहे थे।
“अल्लाह ने यह हुक्म दिया है की इबादत करो।
किसी को उसके साथ शरीक ना ठहराओ। जो बलात्कार करेगा उसे मैं संगसार करूँगा।”
इतना सुनना था कि क़ारून खड़ा हो गया।
कहने लगा -अगर यही काम तुम करो?
आपने फ़रमाया- मुझे भी संगसार कर दिया जाए।
क़ारून ने मूसा से कहा-
तुमने तो जीना किया है। (माज़ अल्लाह)
मूसा ने कहा – ‘मैंने?’
क़ारून बोला- ‘ हाँ तुमने?’
अभी वो मजलूम औरत मजमे में आकर सबके सामने बताएगी।
औरत को बुलाया गया।
सबने कहा बताओ तुम्हारे साथ क्या मामला पेश आया। मूसा ने भी कहा कि अगर तुम अल्लाह पर ईमान रखती हो तो सच-सच बताओ क्या वाकिया है। ख्याल रहे तुम नबी पर तोहमत लगाने जा रही हो।
औरत अल्लाह का वास्ता सुनकर और मूसा का जलाल देखकर डर गई।
फाहशा औरत बोली- ‘ इन लोगों ने मुझे दौलत का लालच देकर आप पर तोहमत लगाने के लिए राजी किया। लेकिन मैं ऐसी दौलत पर ठोकर मारती हूँ जो अल्लाह और उसके रसूल पर बोहतान लगाएं। मैं गवाही देती हूं कि आप एक पाक दामन शख्स है।
इतना सुनना था कि मूसा की आंखों से आंसू झलक पड़े।
वो रोते हुए सज्दे में गिर पड़े। गिड़गिड़ाकर रब के हुजूर अर्ज कि- मौलाए कायनात मैं तेरा रसूल हूँ। मेरी ख़ातिर क़ारून को अज़ाब दे दे।
अल्लाह ने इरशाद फ़रमाया। मेरे कलीमुल्लाह!
हमने जमीन को तुम्हारे ताबे कर दिया। यानि आप इसे जो हुक्म दोगे वो करेगी।
सुभान अल्लाह।।।
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने बनी इसराइल से फ़रमाया
‘ऐ बनी इसराइल अल्लाह ने मुझे क़ारून की तरफ भेजा है जैसे फिरऔन की तरफ भेजा था, जो क़ारून का साथी हो, उसके साथ उसकी जगह ठहरा रहे और जो मेरा साथी हो वो अलग हो जाए।
इतना सुनना था कि सिवाय 2 लोगों के सब सैयदना मूसा के पास आ गए।
हज़रते मूसा ने ज़मीन को हुक्म दिया
‘ऐ ज़मीन इन्हें पकड़ ले !’
तो वो घुटनो तक ज़मीन में धस गए। आप ने दोबारा यही फ़रमाया तो कमर तक धस गए, आप यही फरमाते रहे हत्ता कि वो लोग गर्दन तक धस गए, अब वो गिड़-गिडाने लगे और क़ारून आप को अल्लाह की कसमें और रिश्ता व क़राबत का वास्ते देने लगा।
आपने शिद्दत जलाल के सबब तवज्जोह न फ़रमाई, यहां तक कि वो बिलकुल धस गए और ज़मीन बराबर हो गई।
कयामत तक क़ारून जमीन में धंसता चला जाएगा।
अल्लाह ने क़ुरआन में क़ारून के अंजाम को कुछ इस तरह बयान फ़रमाया है..?
“तो हमने उसे और उस के घर (ख़ज़ाने) को ज़मीन में धसा दिया तो उसके पास कोई जमाअत न थी कि अल्लाह से बचाने में उस की मदद करती और न वो बदला ले सका।
(पारा 20 सूरतुल क़सस, आयत 81)
इस किस्से से हमें बहुत-से सबक मिलते हैं।
जैसे दुनियावी दौलत दिखावा है। वक्त पड़ने पर दौलत हरगिज़ काम ना आएगी। नबी की बेहुरमती करने वालों का अंजाम बुरा होता है। जकात देने से माल पाक होता है। जकात ना देकर दौलत बचाना जहन्नम की तरफ जाने जैसा है।
अल्लाह मुझे और आपको पढ़ने-लिखने से ज्यादा अमल करने की नेक तौफीक अता करें।
आमीन