द्वारा : इं. एस के वर्मा
हमें गर्व होना चाहिए कि केवल हिन्दू धर्म ही ऐसा है जिसमें तैतीस करोड़ या कोटि देवी देवताओं ही है (भगवान अलग से)!
जिसको जो भी पसंद आये उसे ही मानकर पूजा करें, क्योंकि नशेडी, भंगेडी और मांसभक्षण करने वालों के लिए भी शिव है तो सात्विक व शाकाहारी लोगों के दुर्गा माता!
काले रंग को लेकर दुखी न हो वो काली माता की उपासना करें।
लेकिन शादी करने के लिए गौरी चिट्टी और सुन्दर कन्या सभी को चाहिए, एक भी सुन्दर व्यक्ति काले रंग की कन्या से विवाह करना पसंद नहीं करता है(काला व्यक्ति भी नहीं)!
उसके बावजूद भी संतोषी माता, वैभव लक्ष्मी, लड्डू गोपाल, करवाचौथ, अहोई अष्टमी, जूतिया जैसे त्यौहारों के माध्यम से देवी देवताओं का उत्पन्न होना लगातार जारी है। क्योंकि व्यभिचारी और दुराचारी लोगों पर अंकुश लगाने लगे तो कितने लोग पवित्र और धार्मिक बचेंगे?
दरअसल नियमो, अनुशासन और मर्यादा में रहना ही मुश्किल भरा कार्य होता है और इसकी छूट केवल हमारे ही धर्म में है। इसीलिए पुजारी मंदिरों में भगवान और देवताओं के समक्ष ही किसी बेबश युवती का बलात्कार करने का साहस कर लेता है, क्योंकि भगवान और सभी देवी देवता उसके कुकर्म और महिला की चीत्कार को लाचार होकर देखते रहते हैं, कोई भी उस दरिंदे को रोकने का साहस नहीं कर पाता है? जबकि कहा तो यह जाता है कि ईश्वर का वास कण कण में है, मगर अत्याचार करने वाले बढ़ते ही जा रहे हैं?
यदि ईश्वर सर्वशक्तिमान होता तो क्या इन पापियों का हौसला बुलंद होता जाता? फिर सेना, विध्वंश करने वाले आयुध, कोर्ट कचहरी और जज व वकील तथा संविधान बनाने की क्या जरूरत थी?
इसलिए विश्वास करिए, अंधविश्वास नहीं! क्योंकि इबादत खुद के मन की शांति और संतुष्टि का साधन मात्र है जो व्यक्ति की अक्षमताओ या मजबूरी को भी भाग्य और किस्मत समझकर जीने की इच्छा जागृत करता है। जबकि वास्तव में तो पूरा विश्व कर्म प्रधान ही है।
अंधविश्वास, पाखंडों और आडंबरो वह दिखावे को त्यागकर इबादत करना है तो शांति के साथ करिए।
थोड़ा सा भी दिमाग है तो तो जरूर सोचना होगा कि जब लाउडस्पीकर की खोज नहीं हुई थी तो अल्लाह और भगवान दोनो के पास तक क्या आपकी आवाज नहीं पहुंच पाती थी?
इबादत, प्रार्थना,अरदास बेहद ही शांत और एकांत का विषय है, जो इस रहस्य को जानते हैं वें इसको कभी भी दिखावा नहीं करते हैं!
लाउडस्पीकर के द्वारा कोई भी महान संत, ऋषि,मुनि या तपस्वी अथवा मौलाना या मुल्ला ने कोई सिद्धि प्राप्त करके भगवान या अल्लाह अथवा परमेश्वर को प्राप्त किया होता, तो लाउडस्पीकर कंपनी वालों द्वारा लाउडस्पीकरों को बेचने के दौरान इसका प्रचार करके कीमतें भी बढ़ा दी जाती, और डीजे वाले तो भगवान को इन सबसे जल्दी प्रसन्न करके प्राप्त कर लेते, क्योंकि डीजे साउण्ड इतनी अधिक होने लगी है कि आसपास के मकान और सामान व जमीन तक भी कांपने लगती है।
इसलिए सभी धर्मों से मानने वाले से प्रार्थना है,निवेदन है, गुज़ारिश है कि इसको सार्वजनिक मत करिए,सड़कों पर केवल दिखावा किया जा सकता है ऊपरवाले को पाना इतना आसान होता तो बुद्ध कभी भी अपना ऐश्वर्यमय महल और अप्सरा जैसी पत्नी व अपने बच्चे का त्याग करके जंगलो में न भटकते।
आज भी तमाम ऐसे ऋषि मुनि हैं, जो इस दुनिया से दूर पहाड़ों और गुफाओं में रहकर तपस्या कर रहे होंगे, न तो उन्हें अगरबत्ती की जरूरत होती और न ही लाउडस्पीकर की और न ही किसी मंदिर या मूर्ति की!
सब कुछ जानते हुए भी इंसानियत को जार जार करने वालों को महामूर्ख ही कहा जा सकता है, जो युवा पीढ़ी को रोजगार न देकर आतंकवादी बनाने को तत्पर है तथा देश को सीरिया और अफगानिस्तान जैसा बनाना चाहते हैं!
ऐसे राजनेताओं और स्वार्थी लोगों से अपने नौनिहालों को बचाकर रखिए, क्योंकि बुरे का अंजाम भी बुरा ही होता है, आज नहीं तो कल, इसका खामियाजा आप और हम सबको भी भुगतना ही होगा! इसलिए धार्मिक उन्माद करने से बचिए क्योंकि मानवता का धर्म ही सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च है।