इस तथ्य को अच्छे से समझने की ज़रूरत है कि देश में पूंजीवादी आर्थिक संकट रोज़-रोज़ गहराता ही जा रहा है । इसी कारण देश में भयंकर महंगाई, बेरोज़गारी, भुखमरी, ग़रीबी, निजीकरण, मुनाफाखोरी, पूंजीपतियों द्वारा बैंकों की लूट, जमाखोरी जैसे संकट निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं । हिन्दू-मुस्लिम दंगे उसी पूंजीवादी आर्थिक संकट पर पर्दा डालने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं । पूंजीवाद की यह मज़बूरी है कि अगर ये दंगे न करवाए जाए तो देश में पूंजीवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़ जनसंघर्षों का अटूट सिलसिला शुरू हो सकता है, जो पूंजीवादी व्यवस्था को गहरे संकट में डाल सकता है । इसीलिए सारा पूंजीवादी मीडिया एक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ ग़लत तथ्यों का प्रचार करके सांप्रदायिक दंगों को हवा देने का काम कर रहा है ।