हमारा दुश्मन मुसलमान नहीं

दैनिक समाचार

समय निकालकर पूरा जरुर पढें :

1 :- जब दो वोट के अधिकार के लिए बाबा साहब लंदन में अंग्रेजों से लड़ रहे थे। तो उस समय मो० अली जिन्ना और सर आगार खां नाम के दो मुसलमान भाइयो ने बाबा साहब का साथ दिया था।
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2 :- जब ज्योतिबा फुले हमारे लिए पहली बार स्कूल खोल रहे थे तब उस समय उस्मान शेख नाम के मुसलमान भाई ने ज्योतिबा फुले को जमीन दिया था।
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3 :- माता सावित्री बाई फुले को उस्मान शेख की बहन फातिमा शेख ने पूरा साथ दिया और पहली शिक्षिका भी हुई।
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4 :- जब बाबा साहब हमें पानी दिलाने के लिए सत्याग्रह कर रहे थे तो उस सत्याग्रह को करने के लिए जमीन मुसलमान भाइयों ने दिया था।
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5 :- बाबा साहब को संविधान सभा में नहीं जाने दिया जा रहा था, तब बंगाल के 48% मुसलमान भाइयों ने ही बाबा साहब को चुनकर संविधान सभा में भेजा था। खुद हमारे अपने लोगो ने उस समय वोट नही दिया था बाबा साहब को।
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6) मुसलमान टीपू सुल्तान ने हमारी बहन बेटी को स्तन ढकने का अधिकार दिया था अन्यथा हिन्दू ब्राह्मणों ने धर्म के नाम पर हमारी मां-बहन- बेटियों को स्तन खुलें रखने के लिए मजबूर किया था ?।
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हमारा दुश्मन मुसलमान नही है।
हमारा दुश्मन वो है जो हमको साफ पानी पीने से रोक कर रखा ।
हमारा दुश्मन वो है जो हमारे गले में मटका और कमर में झाड़ू बांधने के लिए मजबूर किया।
हमारा दुश्मन वो है जो हमको हजारों सालों से शिक्षा से दूर रखा।
हमारा दुश्मन वो है जो हम 85% भाइयो को 6743 जातियों में बाँट दिया।
हमारा दुश्मन मुसलमान है इस तरह के बहकावे में मत आओ।
अगर मुसलमान इस देश का दुश्मन होता तो,
अकबर का सेनापति मानसिंह (एक हिन्दू) और
महाराणा प्रताप का सेनापति हकीम खां (एक मुसलमान) नहीं होता।
खतरा इस देश को नहीं, खतरा कुर्सी को है, इसलिए इस तरह से हम (sc.st.obc) को हिन्दू बनाकर और मुसलमान को हमारा दुश्मन बताकर भड़काया जा रहा है।
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अगर आप अभी नहीं जागे तो सरकार यह व्यवस्था करने जा रही है कि आपके सामने थाली तो रखी जायेगी और उसमें भोजन भी रखा जायेगा, लेकिन आपका हाथ और मुँह बांध दिया जायेगा।
खाना आपके सामने रखा जाएगा, आप लार तो टपकाओगे लेकिन खाना आपको मिलने वाला नहीं है।
इसलिए अगर चाहते हो कि मुँह पर लगाम न लगे तो, आप अपनी जिम्मेदारी को समझे और समाज को जगाने और संगठित करने का काम करिये।
वो दिन – रात काम कर रहें हैं संविधान को खत्म करने के लिए।
क्या आप इतना बिजी हो गए हैं कि आपके पास समय नहीं है।
कम से कम एक या दो घण्टे का समय दीजिए उनके बीच में जाइये।
यह मत सोचिए कि हमें कोई 100 – 200 रुपया देगा या 100 – 200 का तेल भरवायेगा तब हम चलेंगे।
क्यों की बाबा साहब ने किसी से यह नहीं कहा था कि मेरे बीवी-बच्चे भूखे मर रहे है,
उसके लिए मुझे पैसे दो तो मैं समाज के लिए काम करूंगा। इसलिए संगठित हो जाइए।
अन्यथा सोचने का वक्त भी नही मिलेगा।

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