मेरे भारतीय भाईयों को समपिॅत भारतीय समाज हितार्थ

दैनिक समाचार

(1) लोकतंत्र /लोकशाही के पालन के पहलू यानी लोकतंत्र किसे कहते हैं ❓

जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी हिस्सेदारी साजेदारी प्रतिनीधित्व = लोकतंत्र -लोकशाही।

(2) लोकतंत्र /प्रजातंत्र की गरीमा
को स्थापित करनेे के लिए हिस्सेदारी भागीदारी कैसे तय करें ❓

भारतीय समाज जातियाँ धर्म के बहुतों टुकड़ों में बँटा है, इसलिए
भारतीय संविधान ने… हिन्दू की मूुख्य जातियाँ 6743 अौर 22000 के करीब उपजातियों के विघटन अौर अलग अलग धर्मगत विघटन करीब 7 जैसे…बौद्ध इस्लाम, ईसाइत, लिंगायत, जैन, सिख, पारसी, दिन ए ईलाही अौर कथित हिन्दू धर्म टोटल करीबन = 9 होते हैं|

9+22000
9+6743

ऐसे टुकडों में बँटा भारतीय समाज को भारतीय संविधान ने धर्मभेद, जातिभेद, प्रांतभेद , लिंगभेद से ऊपर उठकर बिना भेदभाव के भारतीय संविधान बना है|

ऊपर के बताये अनुसार जातियाँ धर्मों के भारतीय समाज को एक नागरिक नाम दिया।

उसकी सही भागीदारी, हिस्सेदारी, साझेदारी निर्धारित करने के लिए भारतीय संविधानिक 5 काटेगरी का निर्माण किया।
सब भारतीय समाज जातियाँ धर्म के टुकडों को 5 कटेगरी समेटा है।

(3) यह 5 संविधानिक केटेगरी क्या है ❓

यह केटेगरी यह है :
१-ST शेड्युअल ट्रायब
२-SC/BC शेड्युअल कन्ट्रोवर्सी शिकार समूह अथवा बैकवर्ड कास्ट समूह ।
३-OBC अधर बैकवर्ड कास्ट समूह ।
४-MINORITIZ लघुमती धर्म समूह वाले ।
५-GENERUL जनरल समूह ।

(4) इस केटेगरी को स्थापित करने के महत्व के पहलू क्या हैं?

स्थल, काल, परिवेश अौर सामाजिक धार्मिक स्थिति। आर्थिक ज़ोहर से जन सुविधा से वंचित के निम्न पहलुओं पर यह केटेगरी का निर्माण किया गया:

१-जंगल पहाडी विस्तार जिवन यापन जो जाहेर सेवा से वंचित विचरित समूह समूदाय।

२-धर्मगत पाखंडवाद के तहत सामाजिक स्तर पर बहिष्कृत अछूत समूह समुदाय।

३-सामाजिक स्तर पर अलगाववाद करके सामाजिक जातिवाद तहत पिछड़ा रखा गया समूह समुदाय।

४-शैक्षणिक स्तर पर पिछड़ा रखा गया समूह समुदाय।

५-धर्मगत बाहुलता अल्पता के आधार पर लघुमती समूह समुदाय।

६-जो विचरित नहीं, जन सुविधा से वंचित नहीं, जातिगत, अछूतापन रहित सामाजिक आथिॅक उपार्जन शैक्षणिक सक्षम अौर स्थावर जंगम मिल्कियत भारतीय संपदा पर कब्जा स्थापित समूह समूदाय |

भारतीय संविधानिक स्थापित 5 केटेगरी को..
यह मुद्दों में से लागू होने वाले कटेगरी समूह समूदाय बने ।

ST कटेगरी समूह को ऊपर के पहली 5चों ईकाई लागू होती है।

SC/BC काटेगरी समूह को 1-6 को छोड़कर बाकी 2,3,4,5, ईकाई लागू होती है |

OBC कटेगरी समूह को 1,2,6 को छोड़कर बाकी 3,4,5, ईकाई लागू होती है |

MINORITIZ कटेगरी समूह को 1,2,3,6 को छोड़कर बाकी 4,5 ईकाई लागू होती है |

GENERUL कटेगरी समूह को 1,2,3,4,5, को छोड़कर बाकी 6 ईकाई लागू होती है |

इस ईकाई के तहत काटेगरी तय की गयी है |

यह कटेगरी तय करने से समान भागीदारी साझेदारी हिस्सेदारी प्रतिनिधित्व का निर्माण किया जाता है |

मगर भारतीय समाज समान भागीदारी के इस सिद्धांत से अवगत नहीं है।

यह सिद्धांत का पालन लोकतंत्र /लोकशाही के 4 पीलर/स्तंभों पर होना चाहिए, तभी सही लोकतंत्र स्थापित होगा।

(5) लोकतंत्र /लोकशाही के पीलर अथवा स्तंभ क्या❓

लोकतंत्र के 4 पीलर/स्तभों :

१-शासन=नेतागण
२-प्रशासन= कर्मचारीगण /कार्यपालिका
३-न्यायपालिका =जजगण
४-मीडिया=प्रींट द्रश्य श्राव्य एवं आलोचक गण पत्रकारगण।

यह 4 पीलर /स्तंभों पर जब कटेगरीवाइज आबादी अनुसार प्रतिनिधित्व, भागीदारी, साझेदारी, हिस्सेदारी स्थापित भारतीय समाज सही लोकतंत्रिक लोकशाही समुदाय है।

हर भारतीय को सही लोकतंत्रिक भारत के निर्माण के लिए भारतीय संविधानिक परिचय का जन जीवन में उपयोग लाना होगा।

संविधानिक तौर पर तमाम दस्तावेजों से जातिवाद, धर्मवाद, प्रांतवाद के धब्बे को मिटाना होगा

इन्सान =इन्सानियत
भारत=भारतीयता

सर्वोपरि जाने

धर्म आत्मिक निजी जीवन का भाग है |

इन्सानियत से ऊपर धर्म नहीं, इन्सानियत ही धर्म की धड़कन है। जिस धर्म में इन्सानियत नहीं वह अधर्म है।

एक भारतीय नागरिक की समझनुसार अपने संविधानिक विचार अपने भारतीयों को जनहित में जारी |

ऐक नागरीक
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