तीन सीन से समझिए कैसे आम भारतीयों को गुमराह किया जा रहा है।

दैनिक समाचार


सीन -1
एक महिला जिसका बेटा धर्म की रक्षा करते हुए एक दंगे में शहीद हो गया है उसे एक बड़े धर्म के रक्षक ने उसका सम्मान करने के लिए बुलाया है।
महिला पूछती है असली स्वर्ग और असली सुख फ़्रांस में है या धर्म के लिए शहीद होने में है??
नेता ग़ुस्से में कहता है कैसी देश द्रोही और अधार्मिक वाली बात कर रही हो?
भला धर्म की सेवा छोड़ कर हमारे लिए स्वर्ग और सुख फ़्रान्स में कैसे हो सकता है ?
महिला कहती है अगर असली स्वर्ग और सुख धर्म की सेवा करना है तो आप अपने बेटे को जॉब के लिए फ़्रांस क्यों भेजा है??
सीन – 2
एक महिला जिसका बेटा बेरोज़गार है और दिन रात सिर्फ़ मंदिर/ मस्जिद की सेवा में जुटा रहता है।
वह पुजारी/ मौलवी से मिलती है और पूछती है की स्वर्ग / जन्नत मंदिर / मस्जिद में है या फिर अहमदाबाद / मुंबई में?
पुजारी / मौलवी ग़ुस्से में कहते है की कैसी अधार्मिक बातें कर रही हो?
तुम्हें धर्म का ज़रा भी ख़याल नहीं ?
भला स्वर्ग/ जन्नत मंदिर / मस्जिद छोड़ कर अहमदाबाद या मुंबई कैसे हो सकता है?
महिला कहती है नहीं मैं सोच रही थी स्वर्ग/ जन्नत यहाँ मंदिर / मस्जिद में सेवा करने से ही मिलता है तो फिर आपने यह छोड़ कर अपने बेटे को IIT मुंबई और उसके बाद IIM अहमदाबाद क्यों भेजा?
जब स्वर्ग/ जन्नत सबकुछ यहीं था तो …???
सीन – 3
एक महिला जो अपने बच्चे को एक धार्मिक स्कूल में और धार्मिक भाषा में शिक्षा दिलवा रही है वह उस नेता से मिलती है जो अपनी भाषा और संस्कृति के रक्षक है। महिला पूछती है क्या सचमुच ही संस्कृत विद्धालय में पढ़ाना ही सही है या फिर कॉन्वेंट स्कूल से इंग्लिश स्कूल में पढ़ाना ठीक है?
वह कहता है कैसी अधार्मिक बातें कर रही हो?
अपना धर्म, अपनी भाषा अपनी संस्कृति छोड़ कर भला चर्च के स्कूल में पढ़ाना कैसे सही हो सकता है? यह तो ना सिर्फ़ धर्म के विरुद्ध है बल्कि अपनी मातृभाषा का भी अपमान है?
महिला कहती है नहीं सिर्फ़ ऐसे ही विचार आया की फिर आप अपने बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में इंग्लिश मीडियम से क्यों पढ़ा रहे है?
बस इसी तरह धार्मिक / राजनीतिक नेता और पूँजीवादी लोग इस देश की आम जनता को गुमराह कर रहे है।
वह खुद को सबसे बड़े देश भक्त, धार्मिक और हिंदुत्व और संस्कृति का रक्षक बताएँगे परंतु अपने लिए और हमारे लिए स्टैंडर्ड अलग रखेंगे।
वह हमें कहेंगे घर में गाय पालो उसकी सेवा करो और खुद के घरों में कुत्ते पालेंगे ।*
हमें कहँगे संस्कृत भाषा में अपनी मातृभाषा में बच्चों को पढ़ाओ और वह खुद के बच्चे कॉन्वेंट में पढ़ाएँगे । आप लोग अपने विवेक से काम ले और जाती, धर्म, हिंदू -मुसलमान, मंदिर – मस्जिद वाले मुद्दों की बजाय स्वास्थ, शिक्षा और रोज़गार के मुद्दों पर चर्चा कीजिए और इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखकर वोट करें।

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