दुनिया की सबसे बेहतरीन सरकार

दैनिक समाचार
May be an image of 4 people, beard and text

ये विश्व की सबसे बेहतरीन सरकार थी जिसको साजिशन धराशायी किया गया जिससे भारत धराशायी हो सके।
मेरे मित्र कृष्णन अय्यर के घर चांदी और सोने की ईंटें रखी हैं, मै ये शोर मचाकर उनके घर डकैती डलवा सकता हूँ।
भारत की आर्थिक स्थिति बहुत विभिन्न है तथा वो दुनिया से अलग है एवं अपने चरित्र मे वो लगातार प्रगति करती जा रही थी और ये बात दुनिया की पूंजीवादी ताकतों को अच्छी नहीं लगती थी तथा वो कांग्रेस के रहते भारत मे मनमानी नहीं कर सकते थे। भारत लगातार पूंजीवादी देशों के लिए चुनौती बनता जा रहा था।
2010 मे लंदन की मैगजीन इकोनामिस्ट ने कहा कि भारत आने वाले दस साल मे चीन को पछाड़ देगा। मैगजीन ने ये भी कहा था कि भारत की कंपनियों की स्थिति बहुत मजबूत है। चूंकि 2008 की अमरीकी तथा वैश्विक मंदी मे इसी टीम के कांग्रेसी नेतृत्व ने उसकी आंच भारत में नहीं पड़ने दी थी तथा बार बार इस बात का लोहा मानकर बराक ओबामा ने डा मनमोहन सिंह की बहुत तारीफ की।
बराक ओबामा है कौन,जिसके नेतृत्व में इन्हीं पूंजीवादी ताकतों ने अमरीका में आर्थिक तबाही मचाई जिससे अमरीका आजतक उबर नहीं पाया है। इकोनामिस्ट मैगजीन भी तो इन्हीं पूंजीवादी ताकतों का प्रकाशन है।
तो फिर क्या था, भारत को तो लंगड़ा करना ही था जो दुनिया की रेस में भाग न पाये।
भारत के अंदर संघ और भाजपा बैठे ही थे तथा उन्होंने 2010 के बाद बवाल करना शुरू कर दिया। 2011 में ही अन्ना आंदोलन,रामदेव,विनोद राय,जनरल वीके सिंह की तथाकथित सेना की बगावत तथा संसद के अंदर जेटली के नेतृत्व मे अराजकता। सरकार को काम नहीं करने दिया गया एवं बेहूदे इल्जाम लगाये गये,एक पालिसी पैरालिसिस हो गया।
इन्हीं पूंजीवादी ताकतों का बनाया संगठन है आईएमएफ तथा वर्ल्ड बैंक। जब भारत का व्यापार तथा आमदनी, रोजगार सब सुरक्षित था तब आईएमएफ ने भारत को फ्रेजायल इकोनामी कहा और आज जब भारत का आदमी भीख का झोला लेकर खा रहा है तो आईएमएफ भारत को सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बता रहा है। वो इसलिए क्योंकि कांग्रेस का पौरूष था और वो इनके सामने सरेंडर नहीं हुयी तथा आज सरेंडर मोदी इनकी नीतियाँ लाद लादकर जो भारत को सूट नहीं करती,देश को बरबाद कर चुके हैं। आज वो पं नेहरू की स्थापित मजबूत कंपनियां ही तो बेची जा रही हैं।
जे पी मार्गन का कहना था कि
Give me the power on currency,I don’t bother who is in power.
जरा सोंचें ओबामा एवं इकोनामिस्ट मैगजीन की तारीफ के मायने क्या थे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *