हार्ड हिन्दुत्व का उदय

दैनिक समाचार

द्वारा : आभा शुक्ला

2014 के बाद से जिस हार्ड हिंदुत्व का उदय हुआ उसका सबसे बड़ा तोहफा ये है कि उसने हमारे बच्चों की मासूमियत छीन ली… । उसने चीज़ों को ऐसे परोसा है कि पूरी पीढ़ी का जीवन उसने तबाह कर दिया है… । 2014 के समय जो 16-17 साल के बच्चे थे उनसे लेकर आज आज भी जो 16-17 के साल के बच्चे तैयार हो रहें हैं, वो नफरत का भयानक जहर,घृणित और झूठा इतिहास तथा इस्लामोफोबिया लेकर ही बड़े हो रहे हैं…। उनका मानसिक विकास सिमट कर रह गया है, अजान और हलाला तक… । उनकी मौलिकता खत्म हो गई है…। उनके निर्णय लेने और सही गलत को समझने की शक्ति क्षीण हो गई है… ।

मैं करीब हफ्ते भर पहले अपने एक दूर के रिश्तेदार के 21 वर्षीय बेटे से मिली थी…। मैं हैरान थी, उसका पूरा कांसेप्ट क्लियर था, वो मुझे समझाने की कोशिश कर रहा था कि दीदी आप नहीं जानतीं। ये मुस्लिम हम लोगों से कितनी नफ़रत करते हैं…। ये उन फलों और सब्जियों पर पेशाब करके लाते हैं, जो ये हमें बेचते हैं… । ये ठेला लगाने के बहाने हमारी बहन बेटियों पर नजर रखने आते हैं…। मोहल्लों के नक्शे बनाकर पाकिस्तान भेजते हैं… । दीदी ये गरीब नही होते..। उनको पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान से हवाला के थ्रू बहुत पैसा आता है…। ये बस दिखते हैं गरीब… ।

और सबसे बड़ी बात ये कि उस बच्चे के पास मेरे हर एक तर्क की काट थी… । उसको मैं अव्वल दर्जे की बेवकूफ लग रही थी, जिसको देश विदेश के बारे में कुछ नहीं पता था…। घोर निराशा की बात ये है कि मैं उसको समझा नहीं पाई… । मेरी सब समझदारी धरी रह गई… । वो मुझसे कई गुना ज्यादा आत्मविश्वास से भरा हुआ था…। उसको अपनी बातों पर ऐसा यकीन था कि मैं उसका कोई यकीन हिला नहीं सकी…। उसका हर कांसेप्ट एकदम क्लियर था…। समझ में नहीं आता कि भीतर भीतर इतना खतरनाक ज्ञान आ कहां से रहा है, लोगों के पास…? ये अपडेशन कौन देता होगा और क्यों देता होगा…।

वो तो एक यूथ था… देश में तो लाखों ऐसे यूथ की फौज होगी… सोचकर सिहरन सी उठती है… उग्र हिंदुत्व का ये शायद सबसे बड़ा दुष्प्रभाव होगा कि एक दो पीढ़ियां अपना मानसिक विकास अवरूद्ध कर लेंगी… ऊपर से घृणा की राजनीति में जो स्कोप है वो अलग, करोड़ों लोगों का हीरो बनने,विधान सभा या लोकसभा पहुंचने के मौके तो हैं ही… यही कारण है कि कुछ चालू टाइप के अति महत्वाकांक्षी लोग भी इस नफरत के साथी बनने के लिए आतुर हैं… ।

आप एक दिन याद करेंगे मेरी बात को.. आर्थिक और सामाजिक प्रभाव तो जाने दीजिए, आपके बच्चों पर इसका मानसिक प्रभाव कितना भयानक होगा ये देखिएगा बस… ।

बाकी… राम राम….

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