द्वारा : संजय रघुवर
1 मई जो अंतरराष्ट्रीय विख्यात है, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी एवं हिंदुस्तान में समाजवादी आंदोलन को खड़ा करने वाले प्रमुख नेताओं में एक तथा गोवा मुक्ति आंदोलन के महानायक हिंदुस्तान के चर्चित सांसद रहे स्वर्गीय मधु लिमए जी का जयंती भी है यदि मधुमेह में जीवित होते वह एक 100 वर्ष के हो गए होते! अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाजवादी चिंतक व नेता होने के बावजूद भी काफी सादगी पूर्ण जीवन जीते रहे! स्वर्गीय मधु लिमए जी का कार्यक्षेत्र बिहार भी रहा और बिहार से चार बार सांसद भी निर्वाचित हुए! यदि आज गोवा हिंदुस्तान का हिस्सा है तो उसका श्रेय डॉ राम मनोहर लोहिया के अतिरिक्त मधु लिमए को भी जाता है स्वर्गीय मधु लिमए डॉ राम मनोहर लोहिया के अत्यंत ही निकटतम सहयोगी थे और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का गठन भी डॉ राम मनोहर लोहिया ने मधु लिमए के साथ मिलकर ही किया था! सन 74 आंदोलन में मधु लिमए की बड़ी भूमिका थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल थोपा और लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने आह्वान किया कि सभी सांसदों को लोकसभा और विधानसभा से छिपा कर देना चाहिए तो मधु लिमए ने तत्काल लोकसभा से इस्तीफा कर दिया था यद्यपि वह जेल में थे इस्तीफा करने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती चंपा जी को संवाद भेजा की व लोकसभा से इस्तीफा दे चुके हैं इसलिए सरकारी आवास को तत्काल छोड़ देना चाहिए! जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो इन्हें मोरारजी भाई की सरकार में मंत्री बनाया जा रहा है तो इन्होंने खुद मंत्री ना बनकर अपने स्थान पर 1 पिछड़ी जाति के व्यक्ति को केंद्र में मंत्री बनवाया था यद्यपि महान समाजवादी नेता जाट फर्नांडीस एवं अन्य लोग भी श्री मधु लिमए के कृपा पात्र रहे और इनके नेतृत्व में कार्य करते रहे! यहां भी विदित हो कि स्वर्गीय मधु लिमए ने स्वतंत्रता सेनानी को मिलने वाला पेंशन भी लेने से इनकार कर दिया था और आजीवन नहीं लिया इसी तरह से संसद सदस्य के चुनाव हारने के बाद उन्होंने संसद से मिलने वाले पेंशन को भी नहीं लिया उनके पास कोई अपना निजी बाहर नहीं था और किसी अपने सहयोगी के साथ उसके बाइक पर पीछे बैठकर संसद जाते रहे! कभी देश की स्थिति से आहत होकर डॉ राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि जिस देश में जलावन के अभाव में हजारों घर में चूल्हा नहीं जलते हैं ऐसी स्थिति में लकड़ी के चिता पर उनका अंतिम संस्कार नहीं होगा उन्होंने यह भी कहा था कि जिस देश में लाखों लोग नंगे नंगे रहते हो उस देश में उन्हें मरणोपरांत कफन भी नहीं चाहिए और उनके निधन के बाद ऐसा ही किया गया! अपने साथी और नेता डॉक्टर लोहिया के पद चिन्हों पर चलते हुए मधु लिमए ने भी घोषणा किया था कि उनका भी अंतिम क्रिया लकड़ी के चीता पर नहीं होकर विद्युत शवदाह में कराया जाए! जब मधु लिमए का निधन हुआ तो उन दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी थे जिन्होंने प्रस्ताव किया की जमुना नदी के इस पार उत्तर प्रदेश का क्षेत्र होता है! हम अपने क्षेत्र के सीमा के अंदर स्वर्गीय मधु लिमए जी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करना चाहते हैं किंतु उनकी पत्नी एवं उनके पुत्र ने इंकार कर दिया अंतिम कर दिया था! यह विदित है कि स्वर्गीय मधु लिमए के अंतिम समय तक साथ रहे उनके निकटतम सहयोगी वर्तमान में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक एवं चिंतक श्री रघु ठाकुर जी उन दिनों समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री थे और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी किंतु स्वर्गीय लिमए का पूरा परिवार उनके आदर्शों के अनुरूप विद्युत शवदाह गृह में आम आदमी के जैसा उनका अंतिम क्रिया किया ! यह दुर्भाग्य है कि आज समाजवादी आंदोलन देश से समाप्त हो गया है तथाकथित लोग अपने को समाजवादी कहते हैं जोग और जातिवाद परिवारवाद भ्रष्टाचार एवं पूंजीवाद के गिरफ्त में है! मुझे प्रसंता है कि अगले 1 वर्ष तक मधु लिमए जी कि स्मृति में पूरे देश में आयोजन करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर श्री राजनाथ शर्मा जी की अध्यक्षता में मधु लिमए जन्म शताब्दी वर्ष समिति का गठन किया गया है जिस के सहयोग से एवं मार्गदर्शन में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी बिहार पूरे बिहार में कार्यक्रम करेगी और समाजवादी आंदोलन के मूल सिद्धांतों से वर्तमान युवा पीढ़ी को अवगत कराएगी और आज के संदर्भ में फिर से जन आंदोलन के लिए मानस तैयार करेगी! संजय रघुवर प्रदेश अध्यक्ष लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी बिहार