“बढ़ते बिजली संकट के बीच एक्शन में सरकार, कोयले की रैक जल्द पहुंचाने के लिए 657 पैसेंजर ट्रेन रद्द!”

दैनिक समाचार

–इस खबर को जानबूझकर लोगो तक पहुंचाई जा रही है.

हालंकि व्यवहारिक तौर पर ऐसी खबरें किसी भी लोकतांत्रिक देश में सरकारों के चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात होगी.
किन्तु अपनी की तो बात ही अलग है!

ये खबर उनकी तरफ से प्रचारित की जा रही है, क्योंकि इसके निहितार्थ जो भी हों, इससे ढेरों मकसद हल होंगे!

सबसे पहले आपके पास भक्त व भक्तिन आयेंगे ये कहने कि ‘सरकार की गम्भीरता देखिये, सरकार की कार्यप्रणाली की प्राथमिकता देखिये! सबसे पहले कोयला पहुंचाने की जिम्मेदारी तय की गई है! ये होती है 56 इंच की सरकार,,,,,.कभी देखा था ऐसा प्रधानमंत्री?’

आप कहेंगे-हाँ, ऐसा निकम्मा, नकारा,अयोग्य पहले तो नहीं ही देखा था; क्योंकि पहले ऐसा कभी देखा भी नहीं था अभूतपूर्व कोयला संकट,, बिजली की ऐसी कमी… और ना ही पैसेंजर ट्रेन बन्द कर सिर्फ मालगाड़ी चलाने की कार्यप्रणाली….अर्थात जनता तो हर हाल में परेशान ही!

भक्त व भक्तिन अपने तर्क में “पैसेंजर ट्रेन बन्दी”-तथ्य गोल कर जायेगे!

अंत में खिसिया कर देशद्रोही, पाकिस्तानी व मुल्ला कह देगा!

–इस खबर का अगला मकसद है, बिजली बिल बढ़ाने की तैयारी!!

बिजली की उत्पादन, वितरण, तकरीबन सब निजी हाथों को जा चुका है, अतः उनका अधिक से अधिक मुनाफा ही सरकार का एक मात्र लक्ष्य है!

–आगे यह कि कोयला संकट दिखाकर, कोयला आयात…और आयात के नाम पर तो उनके दो चार नाम तय ही हैं!

–आगे यह कि रेलवे को तहसनहस कर देना, अर्थात रेलवे को बन्द करना, घाटा दिखाना, कर्मचारी की संख्या कम करते जाना, रेलवे को निजी हाथों में सौंप देना…

आप इस खबर पर खीजिये, उधर सरकार ढेरों लाभ ले रही है!

अयोग्यता ही योग्यता है, निकम्मागिरी ही विश्वगुरुत्व है.

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