OBC आरक्षण संशोधन बिल पास, अब राज्य सरकार भी ओबीसी सूची तैयार कर सकेंगी

विधेयक

द्वारा : रवीन्द्र यादव

चर्चा में क्यों?

      हाल ही में OBC आरक्षण संशोधन बिल 2021 को लोकसभा और राज्यसभा से पास कर दिया गया है, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के पश्चात इसे कानून का रूप दे दिया जाएगा। इस विधेयक के मुताबिक अब राज्य सरकार अपने हिसाब से OBC सूची तैयार कर सकेंगे; जबकि इससे पहले OBC सूची तैयार करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास था।

127वें संविधान संशोधन विधेयक

      दरअसल 127वां संविधान संशोधन विधेयक आर्टिकल 342A के खंड 1 और 2 में संशोधन कर, एक नया खंड 3 जोड़ा गया है। इससे अनुच्छेद 338B और 366 में भी संशोधन हुआ है। इस विधेयक को यह स्पष्ट करने के लिए तैयार किया गया है कि राज्य सरकारें ओबीसी की राज्य सूची बनाए रख सकती हैं। संशोधन के तहत नवीनतम राज्य सूची को पूरी तरह से राष्ट्रपति के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा और इसे राज्य विधानसभा द्वारा अधिसूचित किया जाएगा।

इस विधेयक को लाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

      इसी साल मई में मराठा आरक्षण के मामले पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 102वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 2018 को बरकरार रखने के बाद नवीनतम संशोधन की आवश्यकता पड़ी। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की सिफारिशों पर, राष्ट्रपति यह निर्धारित करेंगे कि राज्य OBC सूची में किन समुदायों को शामिल किया जाएगा। 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338बी जोड़ा गया था; जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। जबकि 342ए किसी विशिष्ट जाति को ओबीसी अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है।

OBC आरक्षण बिल इतना महत्वपूर्ण क्यों?

                OBC आरक्षण बिल कानून बनने के बाद महाराष्ट्र में मराठा, राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट, कर्नाटक में लिंगायत जैसे अन्य राज्यों में कई जातियां ओबीसी में शामिल होने के लिए आंदोलन करती रही हैं; जिन्हें अब राज्यों द्वारा ओबीसी सूची में शामिल किया सकेगा तथा आरक्षण का मुद्दा सीधे वोटबैंक से जुड़ा होने के कारण इसका खामियाजा अभी तक केंद्र को उठाना पड़ता था।

      उदाहरण के लिये इस संविधान संशोधन के बाद उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार 39 जातियों को ओबीसी लिस्ट में शामिल कर सकती है, जबकि इससे पहले ही यूपी में 79 जातियों को ओबीसी का दर्जा हासिल है;  हालांकि ओबीसी आरक्षण के फायदे की बात की जाए तो केंद्रीय सूची में अभी ओबीसी के अंदर मौजूद 2700 जातियों में से सिर्फ 1000 जातियां ही आरक्षण का फायदा उठा पा रही हैं।

OBC आरक्षण वोटबैंक रूप में?

      चुनाव में OBC जाति का वोटबैंक के रूप में कितना  हिस्सा है; इसे इन आंकड़ों के जरिए समझा जा सकता है। जहाँ उत्तर प्रदेश में 54.5 फीसदी ओबीसी वोटबैंक है; वहीं उत्तराखंड में 18.3 फीसदी, गोवा में 17.9 फीसदी, मणिपुर में 52.7 फीसदी और पंजाब में 16.1 फीसदी ओबीसी वोटबैंक है। इसी तरह अन्य राज्यों में भी अलग-अलग फीसदी में ओबीसी वोटबैंक के रूप मौजूद है। इसी के साथ आरक्षण पर 50% की सीमा हटाने की मांग भी अब जोर पकड़ने लगी है।

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