धनी का बहुत होता है मान।
भले ही हो वह बहुत बेइमान।
रुपया पैसा में होती है जान,
धन का रहता है अभिमान।
मत कर रे बन्दे! तू अभिमान,
झूटी तेरी शान सुन ओ नादान।
छोड़ मोह माया का लालच,
कर ले रे बन्दे कुछ नेक काम।
सब यही धरा रह जात है,
जब शरीर से निकले प्राण।
केवल पूण्य ही साथ जाते है,
याद ये रख, बात हमारी मान।
सच्चा सुख परोपकार है,
‘आज़ाद’ दे रहा यह ज्ञान।
✍️अकरम 'आज़ाद'