हमारा देश भारत स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात, काफी प्रगति किया है और लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है, लेकिन देश की मुद्रा रुपये में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है!
1947 में 1डॉलर($) 4.16रुपये (₹)के बराबर था, जो 1950 से 1960 के बीच ₹4.76, 1993 में ₹31.37, 2000से 2010 के बीच ₹40-50, 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सत्ता संभालने के एक दिन बाद यानी 27 मई 2014को $1की कीमत भारतीय रुपया में 58.67रुपया था.
लगातार डॉलर की तुलना में रुपया की कीमत गिरते-गिरते 9 मई 2022 को ₹77.44 के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है.
डॉलर की तुलना में रुपए के मूल्य कमी का प्रमुख कारण विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से पूंजी निकलना है.
अप्रैल 2022 तक लगातार 7 महीने से विदेशी निवेशक भरतीय बाजारों से पूंजी निकासी कर रहे हैं और उन्होंने शेयरों से ₹1.65 लाख करोड़ से अधिक की निकासी की है.
विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से पूंजी निकलने का का प्रमुख कारण शेयर बाजार का लगातार गिरना, महंगाई में वृद्धि, लगातार अनावश्यक अनार्थिक विबाद तथा अमेरकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में वृद्धि है.
भारत सरकार को अनार्थिक मुद्दे पर ध्यान कम केंद्रित कर आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित करनी चाहिए.
प्रो0 राम भरत ठाकुर