सम्बन्ध स्त्री – पुरुष दोनों के चाहने से बनते हैं

दैनिक समाचार

द्वारा : उज्जवल भट्टाचार्य

कोई युवती कहती है कि दस साल तक साथ रहने के बाद किसी ने उसे धोखा देकर छोड़ दिया.

मेरा मानना है कि सम्बन्ध दोनों के चाहने से बनते हैं, बने रहते हैं. अगर दोनों में से एक का भी चाहना ख़त्म हो जाय, तो वह टूट जाता है. लेकिन टूटने में भी ईमानदारी होनी चाहिए.

ऐसी घटनायें दिखाती हैं कि सम्बन्ध का रूप कैसा भी हो, आज भी अमूमन स्त्रियाँ पुरुष पर निर्भर होती हैं – आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से, और भावनात्मक रूप से.

सच्चा सशक्तीकरण तब होगा, जब स्त्री ऐसी घटना को पीछे रखते हुए आगे बढ़ती जाएगी. हाँ, दर्द से छुटकारा नहीं मिलेगा.

लेकिन एक बात. सबसे पहले एक बात: कम से कम उस युवती पर भेड़ियों की तरह मत झपटिये. अगर आप ऐसी समस्याओं की गहराई को नहीं समझ पाते हैं, तो नालायक आप हैं. यह मौक़ा है अपने अन्दर झाँकने का. कि मौक़ा मिलते ही हमारे अन्दर का मर्दवाद किस तरह जाग उठता है. जब वह सोया हुआ रहता है, उसी वक़्त उसकी छानबीन कीजिये।

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