फिर कश्मीरी पंडितों का जीवन खतरे में

दैनिक समाचार

अब द कश्मीर फाइल्स फिल्म के रूझान आने शुरू हो गए हैं। कश्मीर में पंडितों की जिंदगियाँ फिर से खतरे में है। इस बार सरकार फुल मेजोरिटी में बीजेपी की है। एक कश्मीरी पंडित राहुल बट्ट की हत्या हो गई है और डरे हुए पंडित प्रदर्शन कर रहे हैं।*

भाजपा सरकार प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग कर रही है। द कश्मीर फाइल्स के दौर में जब मैंने लिखा था तो मुझे बहुत सारे लोग गालियाँ देने आए थे। तीस साल बाद आज फिर से कश्मीरी पंडित असुरक्षित है, पीड़ित है और हिंसा का शिकार हो रहा है।

देश का बिकाऊ मीडिया हमेशा की तरह ताजमहल, ज्ञानवापी आदि मसलों पर चर्चा किए हुए हैं और जिन मामलों पर मोदी सरकार लगातार नाकाम हो रही हैं, उन पर चुप है। इससे भी ज्यादा मजेदार बात यह है कि जनता भी अब कश्मीरी पंडितों को लेकर आश्वस्त हो गई है।

एक और महत्वपूर्ण बात हिंदी अखबार आतंकी हिंसा में मारे गए कश्मीरी मुसलमान कांस्टेबल रियाज अहमद ठाकोर का नाम नहीं बता रहे हैं। उसे कांस्टेबल की हत्या कहकर मोदी सरकार के हिंदु-मुस्लिम एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं। एक कश्मीरी पंडित राहुल बट्ट की हत्या और एक कांस्टेबल की हत्या हुई है, जिसका कोई नाम नहीं है।

मगर बिकाऊ मीडिया में फुटेज कश्मीरी पंडित की हत्या को मिल रहा है। जब फिल्म पर चर्चा हो रही थी, तभी यह आशंका तो थी ही अब घाटी में बचे हुए कश्मीरी पंडितों का रहना उतना आसान नहीं होगा। विवेक अग्निहोत्री ने तो जिंदगी की पहली हिट पा ली और 300 करोड़ कमा लिया , मगर पंडितों के लिए क्या बचा है?

जो लोग फिल्म देखकर भावुक हुए थे, रोए थे, जिनको लगता था कि यह सच उनसे छुपाया गया है, वे आज क्या कर रहे हैं? खुद विवेक अग्निहोत्री क्या कर रहे हैं? 2019 से लेकर मार्च 2022 तक कश्मीर में पंडितों सहित कुल 14 अल्पसंख्यक हिंदुओं की हत्या की जा चुकी है।

जो लोग फिल्म देखकर रो रहे थे, आज वे लोग कहाँ हैं? आज इस वक्त कश्मीर में पंडितों की स्थिति पर कहिए, बोलिए… मोदी सरकार पर दबाव बनाइए। 370 इस तर्क के साथ हटाई गई थी कि इससे घाटी में आतंकवाद पर लगाम लगेगी।

मगर आतंकी गतिविधियाँ बदस्तूर जारी है और इससे ज्यादा खराब बात यह है कि आतंकी अब निहत्थे आम कश्मीरियों को निशाना बनाए हुए हैं। एजेंडा फिल्म देखकर कश्मीरी पंडितों की स्थिति पर आँसू बहाने वालों आज जाग जाइए…नहीं तो तीस साल बाद किसी और विवेक अग्निहोत्री की फिल्म देखकर आपके बच्चे आपकी तरह रोएँगे।

सोचिए कि कश्मीर के नाम पर सहानुभूति की लहर पैदा करने वालों का लक्ष्य सिर्फ औऱ सिर्फ मोदी सरकार का एजेंडा साधना था। यह भी सोचिए कि आज अखबार एक कश्मीरी पंडित की हत्या पर स्यापा कर रहा है, पूरा प्रशासन, मोदी सरकार सब इसमें शामिल हैं, लेकिन कश्मीरी मुसलमान की हत्या पर सब चुप हैं।

…और आपको कश्मीरी मुसलमानों से देश के लिए समर्पण चाहिए… यह भी तो सोचिए कि देश उन्हें क्या दे रहा है?
ताकि सनद रहे।

साभार

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