यदि बादशाह धर्म विशेष विरोधी था तो मंदिरों को बनाने के जमीन क्यों देता था?

दैनिक समाचार

द्वारा : असीम मिर्ज़ा

मुझे बताया जाए कि यदि एक बादशाह किसी धर्म विशेष का विरोधी हो और उसके मंदिरों को तोड़ता फिरता हो वह उसी धर्म के तमाम मंदिरों को बनाने के लिए ज़मीन और पूजा भोग के लिए 8 गांव और 330 बीधा कृषि योग्य जमीन क्यों देगा।

1-इलाहाबाद में गंगा नदी के किनारे बसे नाग वासुकी मंदिर औरंगजेब की दी हुई ज़मीन पर बना हुआ है (प्रोफसर विशेश्वर नाथ पांडेय)

2- उज्जैन का महाकालेश्वर का मंदिर औरंगजेब की दी हुई ज़मीन पर बना हुआ है।

3- गुवाहाटी का कामाख्या देवी मंदिर औरंगजेब की दी हुई ज़मीन पर बना हुआ है।

4- उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर भी औरंगजेब की दी हुई ज़मीन पर बना हुआ है।

5- चित्रकूट का बालाजी मंदिर तो औरंगजेब ने अपने सेनापति गैरत खान की देखरेख में बनवाया और इस मंदिर के महंत बालक दास के नाम आदेश अपने 35वें शासन के 19वें रमज़ान में जारी किया जिसे राजकीय रजिस्टर में 25वें रमज़ान को दाखिल किया गया , जो इस प्रकार है

“बादशाह का शाही आदेश है कि इलाहाबाद सूबे के कालंजर परगना के अंतर्गत चित्रकूट पुरी निवासी महंत बालक दास जी को ठाकुर बाबा जी के सम्मान में उनकी पूजा और भोग के लिए बिना लगान (लगान माफी के साथ) 8 गांव , देवखारी , इरौता , चित्रकूट , रौदेरा , परड़ी , चौरा , सिरीया और दोहतिया दान स्वरूप प्रदान किए गए हैं। और 330 बीघा बिना लगान कृषि योग्य भूमि राठ परगना के जारा घाट में 150 और अमरावती में 180 बीघा ज़मीन दान में दी जाती है।” (श्रोत :- प्रो वी एन पांडेय की पुस्तक -इतिहास के साथ अन्याय)

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