बीजेपी एमसीडी ने 4 महीनों से लंबित तनख्वाह मांगने पर डॉक्टरों को नौकरी से निकाला

दैनिक समाचार
  • जिन डॉक्टरों ने कोरोना के समय जान की परवाह किए बिना दिल्लीवालों की सेवा की, उनके साथ ऐसा व्यवहार मानवता के खिलाफ- दुर्गेश पाठक
  • हक का पैसा मांगने पर एमसीडी ने डॉक्टरों को नौकरी से निकाल दिया, यह कहां का इंसाफ- दुर्गेश पाठक
  • भाजपा शासित एमसीडी का फैसला गलत है, आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती है- दुर्गेश पाठक

नई दिल्ली: 3 फरवरी 2022

‘आप’ एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा शासित एमसीडी से डॉक्टरों ने 4 महीनों से लंबित तनख्वाह मांगी तो एमसीडी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। जिन डॉक्टरों ने कोरोना के समय जान की परवाह किए बिना दिल्लीवालों की सेवा की, उनके साथ ऐसा व्यवहार मानवता के खिलाफ है। हक का पैसा मांगने पर डॉक्टरों को नौकरी से निकाल दिया, यह कहां का इंसाफ है। भाजपा शासित एमसीडी का फैसला गलत है, आम आदमी पार्टी इसका विरोध करती है।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने गुरुवार को एक बयान जारी किया। दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा शासित एमसीडी में कर्मचारियों की सैलरी का मामला एक ऐसा मुद्दा बन चुका है, जहां एमसीडी सारी मनवता खो चुकी है। हम हमेशा बताते हैं कि चाहे एमसीडी के डॉक्टर्स हों, नर्स हों, सफाई कर्मचारी हों, शिक्षक हों, एमसीडी उन्हें कभी भी समय पर तनख्वाह नहीं देती है। जिसके कारण एमसीडी के कर्मचारियों को कई बार हड़ताल पर जाना पड़ता है। भाजपा से कारण पूछने पर हमेशा यही जवाह मिलता है कि हमारे पास पैसे नहीं हैं तो सैलरी कहां से दें। लेकिन अब तो भाजपा ने अपने भ्रष्टाचार की सभी हदें पार कर दी हैं।

एमसीडी के डॉक्टरों को पिछले 4 महीनों से तनख्वाह नहीं मिली है। उनका परिवार चलना मुश्किल हो गया है। अपनी मुश्किलों से परेशान होकर जब वह अपनी तनख्वाह मांगने के लिए भाजपा के पास पहुंचे तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। जिन डॉक्टरों ने कोरोना के समय दिल्ली वालों की सेवा की, आज उनके साथ ऐसा व्यवहार मानवता के खिलाफ है। एमसीडी में शासित भाजपा सारी इंसानियत भूल चुकी है। एक तो आप अपने कार्मचारियों को महीनों तक तनख्वाह नहीं देते हैं, ऊपर से सैलरी की मांग करने पर उन्हें नौकरी से निकाल देते हैं। यह कहां का इंसाफ है? आम आदमी पार्टी इसकी कड़ी निंदा करती है।

हैरानी की बात यह है कि एमसीडी में कितना भ्रष्टाचार है यह सभी को मालूम है। दिल्ली की ज़मीनें बेचनी हों, स्कूल बेचने हों, अस्पताल बेचने हों तो एमसीडी सबसे आगे रहती है। यही नहीं, इन्होंने दिल्ली का इतिहास तक बेच डाला। बावजूद इसके कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिल रही है। ऊपर से अब तो उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। तो एमसीडी का सारा पैसा आखिर जा कहां रहा है, इनके पार्षदों और नेताओं की जेबों में। यही कारण है कि एमसीडी हमेशा कंगाल रहती है। आम आदमी पार्टी भाजपा शासित एमसीडी के फैसले के खिलाफ है। निगम के चुनाव नज़दीक हैं, दिल्ली की जनता भाजपा को एमसीडी से निकाल बाहर करेगी।

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