अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिषद एवं सांस्कृतिक महोत्सव 2022 में मुझे सहभागी होने और अपने विचार भी रखने का पहली बार सौभाग्य प्राप्त हुआ, जो दिनांक 14 मई से 16 मई 2022 तक सिरपुर क्षतीसगढ़ में सम्पन्न हुआ। महोत्सव के साथ साथ मुझे विश्व की सबसे बड़ी बौद्ध विरासत, जो सात सौवी सताब्दी तक दक्षिण भारत के बौद्ध विरासत की दक्षिण महाकौशल राजधानी सिरपुर में थी। बौद्ध महाराज प्रसेनजीत का क्षेत्र था तथा मगध राजा विम्बसार के अधीन आता था। इसका प्रमाणिक तथ्यों पर आधारित इतिहास का सही पता चीनी यात्री व्हेनसांग जो 639 में यहां पर भ्रमण करते हुए आए थे, पूरा विवरण उनकी कलमबंद इतिहास के पन्नों में दर्ज है। बताया जाता है कि चीन से यहां तक की यात्रा करते हुए, व्हेनसांग जमीन से चलकर एक साल में सिरपुर पहुंचे थे। उस समय इस स्थान की महत्ता इस यात्रा से सावित होती है। कुछ समय पहले यह गौरवशाली धरोहर चारों तरफ से जंगलों से घिरे खंडहर के रूप में तब्दील हो गई थी। महानदी के किनारे दस किलोमीटर के दायरे में बसे होने, करीब करीब 100 बौद्ध विहारों, तथा करीब करीब10,000 विद्यार्थियों के रहने, पठन पाठन करने का उच्चस्तरीय प्रबंध खंडहर में तब्दील हो गया है। आज एक छोटा सा गांव सिरपुर के नाम से जाना जाता है जो रायपुर से 85 किलोमीटर दूर, रायपुर जिले का विभाजन कर महासमुंद जिले में स्थित है। यह स्थान रायपुर-सम्भलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग कुहरी मोड से 17 किलोमीटर दूर जंगली एरिया में स्थित है। दर्शन करने पर जिज्ञासा बढ़ती गई कि आज भी यहां आने जाने का सुगम साधन नहीं है तो उस समय बौद्ध भिक्षु कैसे आए और किन परिस्थितियों में इतना बड़ा साम्राज्य यहां स्थापित किया होगा। महानदी के किनारे बंदरगाह जैसे प्रबंध और ठीक उसी के बगल में करीब 10 एकड़ में फैले समतल बाजार हाट जैसे कयी मकान, अनाज के गोदाम, दो कुएं, आपस में रास्ते से जुड़े रोड तथा एक किनारे बने दो मंजिला सीढ़ी के साथ चार पांच रुम, पत्थरों पर डिजाइन दार नक्काशी के भव्य महल, जिसके एक रूम में गोतम बुद्ध की विशाल पत्थर की प्रतिमा आदि सभी खंडहर में तब्दील हो गये हैं। गाइड से पूछने पर पता चला कि उड़िसा के समुद्र से यहां तक महानदी में अधिक मात्रा में, उस समय पानी होने के कारण, नौका से दूसरे देशों से व्यापार होता रहा होगा। इसलिए सिरपुर दक्षिण महाकौशल के राज्य की राजधानी प्रतीत होती है। आश्चर्य और मानसिक पीड़ा तब और होती है, जब मालूम पड़ता है कि ए सभी सैकड़ों मकान या बौद्ध विहारों को तोड़कर या जलाकर, ज़मींदोज़ कर मिट्टी और रेत से ढक दिया गया था, जो कालांतर में टीले के रूप में तब्दील हो गये थे और इस जगह को इन्सानों के आवागमन से भी बंचित कर दिया गया था। भारतीय पुरातत्व विभाग ने 1953-54 से उत्खलन करते हुए सन् 2012 तक सैकड़ों अद्भुत, अद्वितीय बौद्ध विरासत का पता लगाया है और पता चला है कि अभी और खुदाई करके बहुत से रहस्यमय तथ्यों का पता लगाना बाकी है। अब यह स्थान धीरे धीरे पर्यटक स्थल के रूप में तब्दील हो रहा है। लेकिन विश्व के परिप्रेक्ष्य में इसके महत्व को देखते हुए, इस पर्यटन स्थल को विश्व स्तरीय बनाने में सरकार का रवैया उदासीन लगता है। पूरा वर्णन यहां पासिवल नहीं है, सिर्फ लेख पढ़ने से नहीं मालूम पड़ेगा, भारत सोने की चिड़िया था या भारत विश्व बौद्ध विरासत एक समय था, इसकी असली हकीकत खुद देखने के बाद ही आप को मालूम होगा। यहां का मुख्य खुदाई के बाद देखने लायक खंडहर जिनको आज नाम दिया गया है। 1)- चार बौद्ध विहारों का एक समूह है, जिसमें 40-50 कमरे बने हुए हैं। 2)- तिवरदेव बौद्ध विहार। स्वास्तिक विहार, पद्मपाणी बौद्ध विहार, आनन्द प्रभु कुटी विहार 3)- बौद्ध स्तूप। इस टीले की खुदाई 2009 में की गई। यह स्तूप चौकोर बेसाल्ट पत्थरों की ईंट से,13.20 × 12.80 मीटर के गोलार्ध में बना हुआ है। कहा जाता है कि अशोक सम्राट के बनाए स्तूपों में से एक है,4.30 मीटर ऊंचा है। दो छत्र अभी भी ऊपर मौजूद है, उनका व्यास 45 सेंटीमीटर है। 4)- विकसित व्यावसायिक केंद्र या बाजार हाट। यह महानदी के किनारे बंदरगाह से सटे, एक किलोमीटर लम्बा और एक किलोमीटर चौड़ा तथा बीच में तिकोड़ चौराहा के साथ फैला हुआ व्यवसायिक केन्द्र है। दो कुओं के साथ एक भव्य बौद्ध विहार भी बना हुआ है, जिसमें 79 अष्टधातु की सोने की परत चढ़ी गौतमबुद्ध की प्रतिमाएं मिली है। अंडरग्राउंड अनाज के गोदाम मिले हैं और लोहे को गलाकर औजार बनाने की व्यवस्था मौजूद है।5)- पत्थर की ईंटों का बना भब्य बौद्ध लक्ष्मण मंदिर। 6)- प्राचीन बंदरगाह (पोर्ट)। 7)-कयी भव्य महल। आदि और अभी उम्मीद है खुदाई से रहस्यमय तथ्यों से पर्दा हटने का। लेकिन देखने से लगता है सरकार इस रहस्य को छिपाए रखना चाहती है। हमें तो लगता है कि यदि सरकार इमानदारी से ठान ले तो, सिरपुर को भारत का सबसे बड़ा बौद्ध पर्यटक स्थल बनाया जा सकता है। गूगल पर सिरपुर बौद्ध मानुमेंट सर्च कर आप विशेष जानकारी कर सकते हैं। शूद्र शिवशंकर सिंह यादव