- जिस तेली ने कोल्हू बना कर तेल निकाला खाने में स्वाद दिया सुंदरता दी जिस तेली के तेल की पूजा के बिना कोई शुभ कार्य नही होता है ऐसे समाजसेवी समाज के लोग श्रेष्ठ नही है।
2.जिन्होंने चमड़े से जूते, चप्पल बनाने का आविष्कार कर, समस्त मानव जाति के पैरों को सुरक्षित, सुन्दर और निरापद बनाकर समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने सम्पूर्ण पर्यावरण की सफाई करके सुन्दर और स्वच्छ समाज बनाकर समाज की सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने लकड़ी से फर्नीचर (खाट, पलंग, आलमारी, मेज, कुर्सी, दरवाजे आदि) का आविष्कार कर, समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाने का आविष्कार करके समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने बीज से खेती के औजारों का (हल, खुरपी, फावड़ा आदि) आविष्कार करके “अन्न पैदा करने की तकनीक” देकर भूखों मरते, जंगलों में कन्द-मूल और फल के लिए भटकते मानव की, समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने लोहे से “मानव हितकारी यन्त्रों” का आविष्कार किया, साग सब्जी उगाकर या पशु पालन से समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने घर, इमारतें बनाने का आविष्कार करके, प्रकृति और मौसम के क्रूर थपेड़ों से मानव को बचाकर समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने रेशम, कपास और तमाम प्राकृतिक रेशों से कपड़े बुनने का आविष्कार कर मानव को जो, जंगलों में नंगे, ठंड और भीषण गर्मी में पेड़ की छाल पत्ते और मरे जानवरों की खाल लपेटने को बाध्य था, को सुन्दर वस्त्र देकर सभ्य और सुसंकृत बनाकर समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन्होंने नौकायें और बड़ी-बड़ी पानी के जहाज बनाकर यातायात को सरल बनाकर पूरे मानव सभ्यता को उन्नतिशील और ऐश्वर्यपूर्ण बनाकर, समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहीं।
- जिन शिल्पकारों ने मिट्टी पत्थरों और तमाम प्राकृतिक संसाधनों से श्रेष्ठ, कलात्मक मूर्तियों का निर्माण करके इस समाज और दुनिया को कला और संस्कृति की अनन्त ऊँचाइयों पर पहुँचाकर कर समाज सेवा की, वे लोग श्रेष्ठ नहींं।
लेकिन जिन्होंने लंबे समय से समाज को अंधविश्वास, ढकोसले, पाखंण्ड, लोक-परलोक, स्वर्ग-नरक, पाप-पुण्य, मोक्ष प्राप्ति, कपोल-राशिफल,कल्पित भविष्य-फल, पुनर्जन्म, जातिवाद, छूआ-छूत, अश्पृश्यता आदि नारकीय तमाम ढकोसलों के सहारे समाज को पीछे ढकेलकर समाज को अकर्मण्यता और भाग्यवादी बनाकर कर पीछे की तरफ ढकेलने वाले, वे ही आज तथाकथित जातिमात्र से श्रेष्ठ है, यह अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
भारत टैक्नोलोजी में पीछे इसी वजह से है कि यहां “नॉन टैक्निकल” जातियां, श्रेष्ठ और प्रभावशाली रहीं हैं और “टैक्निकल” जातियां भेदभाव से शोषित रहीं है।
अंधविश्वास भगाओ
आत्मविश्वास जगाओ