आदिम साम्यवादी समाज से वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था तक इनके ऐतिहासिक विकास की एक तथ्यपरक कहानी है.
सपना देखकर आत्मा, कुल के मुखिया की आत्मा से कुल देवता, अपने रहने की जगह से आत्माओं के रहने की जगह यानी परलोक, दास-मालिक के दरबार से स्वर्ग, दासों के दण्ड से परलोक में नर्क, सामंतों से बहुदेव, राट, विराट, सम्राट से बहुदेव, त्रिदेव, महादेव और राज्य की सर्वव्यापी निराकार सत्ता से निराकार ब्रह्म का विकास हुआ.
बौद्ध धम्म, श्रमण परम्परा, चार्वाक जैसे प्राथमिक भौतिकवादी दर्शन विकसित होकर आज मार्क्सवादी द्वंद्वात्मक भौतिकवादी दर्शन बन गये, जिसकी उपलब्धि मनुष्य समाज के वैज्ञानिक समाजवाद में परिणति का सिद्धांत है.
बुद्ध के दर्शन को हड़प कर उनके सिद्धांतों का प्रतीकीकरण कर ब्रह्मा, विश्णु, महेश, काली, राम की कथाओं और उनकी मूर्तिपूजा की शुरुआत हुयी.
Santosh Kumar