दुनिया के इतिहास में औरंगजेब एक मात्र ऐसा सम्राट था जो जनता से टैक्स के रूप में वसूली गई धनराशि का उपयोग, अपने एवं अपने परिवार के निजी हित में नहीं करता था.
यही नहीं 600 वर्ष के मुगल काल में औरंगजेब एकमात्र ऐसा सम्राट था जिसने राजस्व विभाग को अपने पास रखा.
हमेशा गरीब – मजलूमों का साथ दिया.
बाकी मुगल शासक भारत के अभिजात्य वर्ग के साथ आपस में रिश्तेदारी कर शासन करते थे, परंतु औरंगजेब ने कुलीन वर्ग के अत्याचारों से गरीब मजलूमों को बचाया करता था.
औरंगजेब ने शराब पर प्रतिबंध लगाया और सम्राट बनते ही अपने राज्य में वेश्यावृत्ति बंद कराई. सूदखोरी बंद कराई, महाजन सूदखोर और वेश्यावृत्ति करने वाले लोग उनके विरुद्ध हो गए.
औरंगजेब ने सामाजिक वर्ण व्यवस्था में भी दखल दिया था.
जिन मंदिरों में देवदासी प्रथा प्रचलित थी उन मंदिरों पर भी औरंगजेब ने हथोड़ा नहीं चलाया बल्कि उन्हें मिट्टी से ढकवा जमींदोज कराया.
भारत में अत्याचारी वर्ग को सत्ता में हिस्सेदारी नहीं मिली, जो औरंगजेब के आलोचना का शिकार होना पड़ा.
मार्क्सवादी दृष्टिकोण से औरंगजेब का इतिहास वर्तमान परिस्थितियों में स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए.
(साभार)