द्वारा : इं. एस. के. वर्मा
वर्तमान समय में Worldometer के अनुसार चीन की जनसंख्या लगभग 144 करोड़ है। चीन जनसँख्या की द्रिष्टी से विश्व में प्रथम स्थान पर है। इसके बाद भारत (138 करोड़) की आबादी आती है। चीन की ये पॉपुलेशन दुनिया की जनसँख्या का 18.47 प्रतिशत है। चीन का कुल क्षेत्रफल 9388211 वर्ग किलोमीटर है।
एक समय था जब चीन अपनी जनसंख्या के कारण भूखमरी के कगार पर था तथा आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।
परन्तु चीन वर्तमान में दुनिया में सबसे अधिक ताकतवर देश है मालूम क्यों?
चीन से मुफ्त में कुछ भी नहीं बांटा!
बल्कि जनसंख्या पर नियंत्रण करने के साथ ही सबको रोजगार देने का प्रयास किया।
वर्तमान में चीन में विदेशी तथा भारतीय नागरिक भी लाखों की संख्या में रोजगार प्राप्त करने या व्यापार करने कू उद्देश्य से निवारण कर रहे हैं।
हर साल चीन में सस्ती मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा लेने के लिए भी हजारों भारतीय चीन और यूक्रेंन देशों में जाने को मजबूर हैं।
यह सब परिवर्तन मुफ्त का पानी,मुफ्त की बिजली, मुफ्त की गैस या मुफ्त के राशन का झोला थमाने से कदापि नहीं आने वाला है।
देश में सस्ती सुलभ और उन्नत शिक्षा के साथ ही रोजगार देने पर ही सारा ध्यान केंद्रित होना चाहिए, तब जाकर दस पंद्रह वर्षों में देश के हालात बदल सकते हैं।
जबकि भारत देश की कहानी कुछ और ही है, तीन तलाक़ पर प्रतिबंध लगाना अनिवार्य समझा मगर दो बच्चों से अधिक का कानून बनाना उचित नहीं समझा!
तीन तलाक़ का अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक़ कहकर उससे संबंध खत्म नहीं कर सकता है। मान लीजिए यह कुछ मामलों में सही भी हो किन्तु यदि आपस में तालमेल नहीं बैठ रहा है तो अदालतों के चक्कर लगाने और वकीलों की मोटी फीस भरने के बाद तलाक तो मिल ही जाएगा। और यदि आपस में तालमेल नहीं है तो पति पत्नी को तलाक ले भी लेना चाहिए क्योंकि हत्या और आत्महत्या करने से तो बेहतर होगा!
बहरहाल तलाक देने पर ना तो पाबंदी लगी है और न ही बच्चों की संख्या पैदा करने पर!
ऊपरवाले की देन है जितना चाहे पैदा कर लीजिए।
दूसरी सबसे बड़ी बिमारी धर्म खतरे में है वाला कथन!
देश में राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और न्यायालयों के न्यायधीशों से लेकर तीनों सेना प्रमुख तक सभी लोग हिन्दू है। देश के सभी प्रदेशों में मुख्यमंत्री और विधायक तथा सांसदों की 98% संख्या भी हिन्दू ही।
डीएम एसपी और कलेक्टर तथा थानेदार भी लगभग 90% हिन्दू, देश का नाम भारत भी हिन्दू और भाषा राष्ट्रीय भाषा भी हिन्दी।
हिन्दूओ की जनसंख्या भी सबसे अधिक!
इतना सबकुछ होने के बावजूद भी यदि हिन्दू धर्म खतरे में बताया जा रहा है तो लानत है हिन्दूओ पर, चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए।
हिन्दू और मुसलमान के नाम पर जो गंदी राजनीति की जा रही है तथा करोड़ों शिक्षित युवाओं को बेरोजगार बैठाकर रखा जा रहा है, उसका खामियाजा देश को आने वाले दस वर्षों बाद दिखाई देगा!.
देश आर्थिक रुप से कमजोर तो होगा ही, मौजूदा दौर के बेरोजगार युवा यदि आतंकवादी और उग्रवादी तथा नक्सली बनकर अपने ही देश के लोगो को लूटने खसोटने और अपहरण व हत्या करने लगें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। क्योंकि जो बबूल के पेड़ बोये जा रहे हैं उनके परिपक्व होने पर देश के हालात क्या होगें इसकी चिन्ता किसे है?
विश्व बैंक कब तक कर्ज देगा और भूखमरी व बेरोजगारी का दंश झेलने वाली युवा पीढी किस बात का टैक्स देगी?
क्योंकि कमाई ही नहीं होगी तो टैक्स का क्या औचित्य?
लेकिन नेताओ की संख्या मे दिनोदिन होती बढ़ौतरी, कोढ़ में खाज बनने का काम करेगी!
नेताओ को सुरक्षा और सुविधाएं बादस्तूर चाहिए लेकिन कोई पूछे कि नेता अपनी आजीविका चलाने अथवा देश के विकास में क्या योगदान करते हैं? केवल भाषणबाजी और बिना सोचे समझे मूर्खतापूर्ण आदेश करने के?
संभवतः दस, पांच प्रतिशत नेताओं को अपवाद मानकर छोड दिया जाए तो बाकी को भी संविधान की एबीसीडी नहीं पता है, न ही अपने क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों और उस क्षेत्र में निवास करने वाले नागरिकों की समस्यायों का संज्ञान होता है।
दूसरी सबसे खास बात कि नेता बनते ही क्यों है? या युवाओं में नेता बनने का शौंक क्यों चर्राया है?
क्योंकि वर्तमान में कितनी भी शिक्षा और योग्यता ग्रहण कर लीजिए परन्तु बाबाओं और नेताओं से बेहतरीन कोई भी ऐसां पेशा नहीं है जिसमें इतनी अधिक शोहरत,रुतबा,संपत्ति और सम्मान हासिल हो सके!
बाबाओं के उपर भी कोई जल्दी हाथ नहीं डाल सकता है तो नेताओं भी जितना चाहे गद्दार,घोटालेबाज और क्रिमिनल ही क्यों न हो, यदि सत्ता मे मौजूद हैं तो उसको भी जीते जी सजा कहां हो पाती है?
इसलिए बिना रोजगार के अवसर पैदा किये कितना भी कुछ मुफ्त बांट लीजिए परन्तु देश के हालात खराब ही होते जाएंगे। क्योंकि जनता के पास रोजगार और पैसा नहीं होगा तो टैक्स कहाँ से दे पाएगी?