द्वारा : इं. एस. के. वर्मा
पत्थर का शेर किसी प्राणी को नोच नहीं सकता,पत्थर की गाय दूध नहीं दे सकती,पत्थर का सांप डस भी नहीं सकता!
लेकिन पत्थर की मूर्तियां टनों दूध पी सकती है, पत्थर के देवी देवता वरदान भी दे सकते हैं और मनोकामना भी पूरी कर सकते हैं।
पृथ्वी पर मौजूद संपूर्ण प्राणियों में केवल मनुष्य ही इतना बुद्धिमान प्राणी है जो खुद पत्थर को तराश कर मूर्ति बनाता है, उसमें प्राण प्रतिष्ठा करके प्राण भी डालने का ढोंग भी करता है, उसी की पूजा करता है फिर उसी से डरता भी है! जबकि पालतू कुत्ता बिल्ली गाय,भैंस और अन्य पशुओं व पक्षियो को भी अपने मालिकों अपने मालिको की पहचान और मोह होता है।
फिर सबको पैदा करने वाले भगवान की मूर्ति को ये पशु और पक्षी क्यों नहीं पहचान पाते हैं? क्यों भगवान की मूर्ति पर मर मूत्र और विष्टा करने नहीं भय खाते हैं?
क्योंकि सभी एक ही परमपिता परमेश्वर की सन्ताने और सभी की आत्मा में उसी परमात्मा का अंश बताया जाता है तो भाषा या शक्ल भले ही अलग हो किन्तु अपने पैदा करने वाले की पहचान जरुर होनी चाहिए?
परन्तु मनुष्य ही इतना मूर्ख प्राणी है पहले मूर्ति बनाता है फिर उससे भय खाता और भयवश पूजता भी है,तो मूर्ति बनाने और उसमें प्राण डालने की जरूरत ही क्या है?
खुद को शिक्षित और सभ्य तथा आधुनिक कहने वाले इंसान से तो पशु, पक्षी भी लाख दर्जे बुद्धिमान कहें जा सकते हैं क्योंकि बिल्ली कभी पत्थर के चूहे को देखकर खाने के लिए लालायित नहीं होती है। गाय का बछडा भी पत्थर की गाय का दूध नही पीने की कोशिश करता है। और पत्थर के बने शेर पर कुत्ते को अपनी एक टांग उठाकर योग करते जरा भी डर नहीं लगता है।