पद्मनाभ मंदिर केरल, के 6 तहखानों में कुल 20 अरब डॉलर की संपत्ति है।
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की सोने की मूर्ति विराजमान है, जिसकी कीमत 500 करोड़ रुपए है।
तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश, को औसतन सालाना 650 करोड़ रुपये का चढ़ावा आता है।
इसके अलावा लड्डू के प्रसाद की बिक्री से आय होती है। अनुमानतः मंदिर के पास 900 टन सोने का भंडार है।
इसके बैंक खातों में 14000 करोड़ रुपये जमा हैं।
शिरडी साईं मंदिर महाराष्ट्र के पास 380 किलो सोना 4 428 किलो चांदी, अनगिनत डॉलर पाउंड के अलावा 18000 करोड़ रुपये की सम्पत्ति है।
जिसमें औसतन 350 करोड़ रुपये सालाना और जुड़ जाते हैं।
इसी तरह वैष्णो देवी मंदिर जम्मू को सालाना औसतन 500 करोड़, सबरीमला केरल को 230 करोड़, सिध्दि विनायक मंदिर मुम्बई को 125 करोड़ का चढ़ावा आता है।
ये 2021 में प्रकाशित आंकड़े हैं। मुझे लगता है कि सरकार को इस सम्पत्ति का अधिग्रहण कर लेना चाहिए।
जिससे मल्टी मिलेनियर उद्योगपतियों को और कर्ज़ दिया जा सके, कुछ कर्ज़ राइट ऑफ हो सके, कुछ उद्योगपति विदेश भाग सकें, एकाध दुनिया के टॉप अमीरों में आ जाएं।
पब्लिक का क्या है, वो तो भगवान तक को दान दे सकती है।
उसने एक बार जो ‘तेरा तुझको अर्पण’ कर ही दिया, सो कर दिया। आगे और भी करेगी। उसे यकीनन अपने दान में से वापस कुछ भी नहीं चाहिए।